यूपी एमपी बॉर्डर पर फंसे हैं लगभग 5000 प्रवासी मजदूर, भूख प्यास से बेहाल हुए मजदूर
- एमपी-यूपी बाॅडर में फसें हैं कई हजार मजदूर
- जनपद महोबा के कैमहा बाॅडर में लगभग 5000 प्रवासी मजदूरों ने डाला हुआ है डेरा
- देश के अन्य राज्यों से आए मजदूरों को प्रशासन से नही मिली है प्रवेश की अनुमति
- कई दिन पैदल चलने के बाद जनपद के यूपी-एमपी बाॅडर तक पहुचें हैं मजदूर
- अपने गृह जनपद पहुचने के लिए जनपदीय प्रशासन से लगाई है मदद की गुहार
- प्रशासन द्वारा दिया जा रहा है कोरा आश्वासन नही ली जा रही है इनकी सुध
उत्तर प्रदेश के महोबा जनपद में बने एमपी-यूपी बाॅडर पर दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र से चल कर आए तकरीबन 5000 मजदूरों ने डेरा डाला हुआ है। बाहर से आए ये सभी मजदूर जहां अपने गृह जनपद पहुचना चाहतें हैं तो वहीं सरकारी अनुमति न होने के चलते इन्हें जनपद महोबा में प्रवेश की अनुमति नही दी जा रही है। कई दिन गुजरने के बावजूद भी प्रशासन द्वारा इन्हें रोक कर रखा गया है तो वहीं सरकारी पास लगे वाहनों को आने जाने पर कोई भी पांबदी नही लगाई गई है।
आपको बता दें की रोजी रोटी के लिए अन्य राज्यों की तरफ रूख करने वाले गरीब तबके को लाॅक-डाउन के चलते बेहद भयावह हालातों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा भले ही इन्हें अपने गृह जनपद तक पहुचाने के वादे किए जा रहें हैं। तो वहीं प्रशासनिक अनुमति न होने के चलते इन्हें जनपद से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलिस का खौफ दिखाकर रोका जा रहा है। ऐसा ही कुछ नजारा जनपद के कैमहा बाॅडर पर भी देखने को मिल रहा है। जहाॅं लगभग 5000 मजदूरों मजबूरी के चलते डेरा डाला हुआ है। प्रशासनिक अनुमति की आस लगाए इन मजदूरों के लिए न तो प्रशासनिक स्तर पर खान पान का उचित प्रबंध किया गया है और न ही इन्हें जनपद से होकर गुजरने की सरकारी अनुमति अभी तक दी गई है। जिसके चलते इन प्रवासी मजदूरी को दो समय की रोटी के भी लाले पड़े हुए है।
मई के महीने में एक साथ इतनी बड़ी संख्या पर पहुचने के कारण इनको खासी मुसीबतों के साथ ही गर्म मौसम की भी मार भी झेलनी पड़ रही है। चित्रकूट प्रयागराज हमीरपुर जैसे कई जनपदों के ये निवासी कैसे भी करके अपने घर पहुचना चाहतें हैं। तो वही सरकारी पास न होने के चलते अब तक इन्हें न तो जनपद से गुजरने की अनुमति प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई है और न ही इनके ठहरने के कोई उचित प्रबंध किया गया हैं। भविष्य में अब इन्हे कब अपने गृह जनपद पहुचने की अनुमति दी जाती है ये अपने आप में एक सवाल बना हुआ है। तो वहीं भूखे प्यासे और खाली जेब लिए इन मजदूरों की हालत बेहद खस्ता नजर आ रही है।