अफगानिस्तान पर US का बड़ा बयान, क्या कहा
पाकिस्तान ने तालिबान और आतंकियों को पनाह दी, हक्कानी नेटवर्क से ISI के गहरे ताल्लुक
पाकिस्तान के तालिबान कनेक्शन को लेकर अमेरिका ने बड़ा बयान दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि पाकिस्तान ने तालिबानियों और उनकी सरकार में शामिल हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों को पनाह दी है। ब्लिंकन ने कहा है कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ तालमेल रखना चाहिए।
ब्लिंकन ने ये भी कहा कि तालिबान से पाकिस्तान के कई हित जुड़े हैं, इनमें से कुछ अमेरिका के खिलाफ हैं। साथ ही कहा कि अफगानिस्तान में भारत के दखल से पाकिस्तान की नुकसान पहुंचाने वाली कार्रवाई कुछ हद तक कम हुई है। ब्लिंकन ने कहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के साथ गहरे ताल्लुक हैं। हक्कानी नेटवर्क अमेरिकी सैनिकों की मौत और अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे जैसी कई घटनाओं के लिए जिम्मेदार है।
पाकिस्तान से संबंधों की समीक्षा करेगा अमेरिका
अमेरिकी विदेश मंत्री के मुताबिक अफगानिस्तान में अपनी दखलंदाजी का पाकिस्तान लगातार बचाव करता रहा है। एक तरफ वह तालिबान को पनाह देता है दूसरी तरफ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ होने की बात भी करता है। पाकिस्तान से अमेरिका के संबंधों की समीक्षा से जुड़े सवाल पर ब्लिंकन ने कहा कि हम जल्द इस पर विचार करेंगे। हम देखेंगे कि अफगानिस्तान में पिछले 20 साल में पाकिस्तान की क्या भूमिका रही है और आने वाले सालों में हम उससे क्या चाहते हैं।
अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे में पाकिस्तान का हाथ
पाकिस्तान पर लंबे समय से ये आरोप लगते रहे हैं कि उसने अफगानिस्तान पर कब्जा करने में तालिबान का साथ दिया है। पिछले दिनों इसके सबूत भी सामने आए हैं। ISI के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद तालिबानी सरकार के ऐलान से पहले काबुल गए थे। बताया जा रहा है कि उनके दखल से ही तालिबानी सरकार में हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों को शामिल किया गया है। वहीं पंजशीर की जंग में भी पाकिस्तानी सेना द्वारा तालिबान की मदद करने की रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं।
अमेरिका ने अफगानिस्तान से 1.24 लाख लोग निकाले, मिशन पूरा
अमेरिका ने कहा है कि उसने अफगानिस्तान से 1.24 लाख लोगों को सुरक्षित निकालकर इतिहास का सबसे बड़ा एयरलिफ्ट पूरा कर लिया है। अमेरिका के विदेश विभाग की प्रवक्ता नेड प्राइस का कहना है कि हमारे डिप्लोमेट्स, सेना और इंटेलीजेंस अधिकारियों ने सबसे मुश्किल हालातों में यह मिशन पूरा किया है। तालिबान के कब्जे के बाद वहां से निकाले गए लोगों में हमारे सहयोगी, अफगानिस्तान में रह रहे अमेरिकी और वे अफगानी लोग शामिल हैं जिन्हें खतरा था।