भगोड़े नीरव मोदी को एक और झटका, यूके के जज ने भारत के पक्ष में सुनाया फैसला
लंदन। भगोड़े हीरा व्यापारी को यूके की अदालत की ओर से एक और झटका लगा है। यूके के जज ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय अधिकारियों की ओर से पेश किए गए सबूत व्यापक रूप से स्वीकार्य हैं।
इसके साथ ही नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पित होने की संभावना बढ़ गई है। फिलहाल नीरव को 1 दिसम्बर तक रिमांड पर भेज दिया गया है। दोनों पक्ष 7 और 8 जनवरी को आखिरी बहस करेंगे और 2021 में इसके कुछ हफ्ते बाद फैसला आने की उम्मीद जताई गई है।
नीरव के वकील क्लेयर मॉन्टगोमेरी क्यूसी ने मामले की सुनवाई के दौरान भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी रवि शंकरन के साथ तुलना करते हुए भारत की दलीलों पर काउंटर अटैक करने का प्रयास किया। दरअसल रवि शंकरन अब एक हथियार डीलर हैं, जो ब्रिटेन में हैं और उनका प्रत्यर्पण भी होना बाकी है।
सख्त विरोध के बाद भी डिस्ट्रिक्ट जज सैमुअल मार्क गूजी ने विजय माल्या के मामले में निर्णय के अनुसार फैसला करने का निर्णय लिया, जिसमें कहा गया है कि धारा 161 के तहत भारत की अदालत में दिया गया बयान ब्रिटेन की अदालत में मान्य है।
नीरव अनुमानित 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी घोटाले के मुकदमे का सामना करने के लिए भारत में वांछित है। 49 साल का नीरव कोर्ट की कार्यवाही में वैंड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के जरिए शामिल हुआ, जहां वह मार्च 2019 से बंद है।
क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) भारतीय अधिकारियों की ओर से बहस कर रहे थे। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत गवाहों के बयान सहित अन्य साक्ष्य ब्रिटिश अदालत के लिए आवश्यक सीमा को पूरा करते हैं।
इसके अलावा यह दलील भी दी गई कि नीरव पंजाब नेशनल बैंक के कई कर्मचारी नीरव मोदी के साथ ‘लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग’ (एलओयू) के लिए साजिश रचने में शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन की अदालत ने नीरव के प्रत्यर्पण की सुनवाई को 3 नवम्बर तक बढ़ा दिया था। अक्टूबर में मोदी के वकील ने यूके की अदालत को बताया कि मामले का राजनीतिकरण होने के कारण नीरव मोदी की भारत में निष्पक्ष सुनवाई होने की संभावना नहीं है और वह भारतीय जेलों में पर्याप्त मेडिकल सुविधाओं की कमी के कारण आत्महत्या के जोखिम का सामना कर सकते हैं।