शार्क और डॉल्फिन के बीच से तैरकर अद्भुत रिकॉर्ड बना गयी ये दिव्यांग लड़की
छत्तीसगढ़ के जांजगीर इलाके की अंजली पटेल ने सभी के लिए एक मिसाल कायम की है। पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद अंजलि ने रिले रेस तैराकी में एशियन रिकॉर्ड बनाया है। अंजली ने समुद्र की लहरों को भेदकर शार्क और डॉल्फिन के बीच से गुजरकर यह मुकाम हासिल किया। देश भर के 6 पैरा-तैराकों की इस टीम ने 35 किलोमीटर की दूरी 11 घंटे 46 मिनट 56 सेकंड में तैर कर पूरी की।
यूएसए कैटलीना आइलैंड से रात 11 बजे रिले रेस का आगाज हुआ। अंजली ने बताया कि उस समय काफी ठंड थी, मगर सभी के हौसले इतने बुलंद थे कि हर मुसीबत को भेदने के लिए तैयार थे। एक ओर जहां समुद्र की लहरें बार-बार डुबा रही थीं, वहीं दूसरी ओर शार्क और डॉल्फिन का डर बना हुआ था। हार न मानने की जिद और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाकर 19 अगस्त को सुबह 10.30 बजे 35 किलोमीटर का सफर पूरा कर मेनलैंड में रिले रेस खत्म हुई। उन्होंने बताया कि प्रत्येक तैराक को दो-दो घंटे समुद्र में तैरना था। दो घंटे में तीन किलोमीटर का सफर तय करना था। एक के थकने के बाद दूसरे को उतारा जाता था। अंजली तीसरे नंबर पर उतरीं और दो घंटे में तीन किलोमीटर का सफर पूरा किया। अंजली ने बताया कि रिकॉर्ड बनाने के पूर्व एक महीने का कैंप पुणे में आयोजित किया गया, जिसमें कोच रोहन गोरे ने सभी को तैयार किया था। रिले रेस में अंजली के साथ राजस्थान के जगदीश चंद्र तेली, मध्य प्रदेश के शैलेन्द्र सिंह, बंगाल की रिमु शाहा और महाराष्ट्र की गीतांजलि भी समुद्र में उतर शार्क और डॉलफिन के बीच से गुज़रे थे।
जांजगीर जिले के बालोद गांव की रहने वाली अंजली एक निम्न-मध्य वर्गीय परिवार से हैं। उनके पिता बस कंडक्टर थे। बिलासपुर में नौकरी शुरू करने के बाद अंजली ने अपने पिता को नौकरी करने से मना कर दिया। पांच भाई बहनो में एक अंजलि अपने परिवार में कमाने वाली इकलोती हैं। आर्थिक रूप से कमज़ोर होने के कारण इस रिले रेस में शामिल होने के लिए अंजली ने पांच लाख रूपये उधार लिए थे। आपको बता दें अंजली पटेल छत्तीसगढ़ के नंबर वन की तैराक और इंडिया में दूसरे रैंक की तैराक हैं। इसके पहले कोमनवेल्थ 2010 और आइवास जैसे अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी भाग ले चुकी हैं। 30 साल की अंजली पटेल ने अब तक 17 गोल्ड मेडल, 20 सिल्वर और 12 ब्रॉउन मेडल अपने नाम कर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है।