6 नवंबर तक ED की कस्टडी में अनिल देशमुख; जानें केस में आरोपी बने हर बड़े चेहरे की कहानी
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को स्पेशल कोर्ट ने 6 नवंबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कस्टडी में भेज दिया है। ED ने सोमवार देर रात अनिल देशमुख को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले ED ने देशमुख से 12 घंटे तक पूछताछ की। इस पूछताछ में अनिल देशमुख ED के किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
इससे पहले ED अनिल देशमुख को कई बार समन दे चुकी है, लेकिन वे ED के सामने पेश नहीं हुए। पिछले हफ्ते देशमुख की उस याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने ED के समन को रद्द करने की मांग की थी।
समझते हैं, ED ने किस मामले में अनिल देशमुख को गिरफ्तार किया है? उनके खिलाफ क्या-क्या आरोप हैं? ED के आरोपों पर देशमुख का क्या कहना है? और किन-किन मामलों में अनिल देशमुख के खिलाफ जांच चल रही है? और इस केस से जुड़े सभी बड़े चेहरों के बारे में …
क्यों गिरफ्तार किए गए अनिल देशमुख?
ये मामला मनी लॉन्ड्रिंग और वसूली के आरोपों से जुड़ा है। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने गृहमंत्री रहते हुए सचिन वझे से हर महीने 100 करोड़ रुपए देने की मांग की थी।इस मामले में CBI ने अनिल देशमुख के खिलाफ FIR दर्ज की थी। ED ने CBI की FIR के आधार पर कार्रवाई की है। आरोप है कि देशमुख जब महाराष्ट्र के गृहमंत्री थे तब उन्होंने बार और रेस्टोरेंट मालिकों से 4.7 करोड़ रुपए वसूले थे। ये रकम दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के दौरान वसूली गई थी और इस रकम को मुंबई पुलिस के असिस्टेंट इंस्पेक्टर सचिन वझे के जरिए वसूला गया था।ED के मुताबिक, इस रकम में से 4.18 करोड़ रुपए दिल्ली की 4 अलग-अलग शैल कंपनियों में जमा किए गए। इन कंपनियों ने इस रकम को श्री साई शिक्षण संस्थान नाम के एक ट्र्स्ट को डोनेट कर दिया। इस ट्रस्ट को अनिल देशमुख और उनका परिवार ही चलाता है। यानी वसूली का पैसा शैल कंपनियों के जरिए देशमुख के ट्रस्ट में ही इस्तेमाल किया गया।देशमुख ने अपनी पत्नी आरती देशमुख के नाम पर मुंबई के वर्ली में एक फ्लैट खरीदा था। ये फ्लैट 2004 में नगद पैसे देकर खरीदा गया, लेकिन बिक्रीनामा फरवरी 2020 में साइन किया गया, जब अनिल देशमुख महाराष्ट्र के गृहमंत्री थे। ED इस मामले में भी जांच कर रही है।देशमुख परिवार की प्रीमियर पोर्ट लिंक्स नामक एक कंपनी में 50 फीसदी हिस्सेदारी है। ये हिस्सेदारी 17.95 लाख रुपए में खरीदी गई, जबकि कंपनी और उसके बाकी एसेट की कीमत 5.34 करोड़ रुपए की है। इस मामले में भी ED जांच कर रही है।
पूरे मामले की शुरुआत कहां से हुई?
इसी साल 25 फरवरी को मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास विस्फोटकों से भरी एक SUV बरामद हुई थी। पुलिस को SUV में जिलेटिन रॉड और वाहनों की नंबर प्लेट मिली थीं। ये SUV उस वक्त मनसुख हीरेन की कस्टडी में थी, जिसकी लाश ठाणे के एक नाले में मिली थी। इस मामले की जांच पहले सचिन वझे के ही जिम्मे थी, लेकिन बाद में जांच का जिम्मा NIA को सौंपा गया। NIA ने मार्च में वझे को गिरफ्तार कर लिया। NIA ने चार्जशीट में सचिन वझे समेत 10 लोगों को आरोपी बनाया था। वझे पर आरोप था कि उन्होंने खुद को सुपरकॉप साबित करने के लिए विस्फोटक भरी SUV अंबानी के घर के पास पार्क की थी।
इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का ट्रांसफर कर उन्हें होमगार्ड का DG बना दिया। ट्रांसफर के बाद परमबीर सिंह ने उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी जिसमें अवैध वसूली के आरोप लगाए गए।
ED के आरोपों पर देशमुख का क्या कहना है?
देशमुख शुरू से ही ED द्वारा लगाए गए आरोपों को झूठा बता रहे हैं। देशमुख ने दावा किया है कि जांच एजेंसी ने मामले की जांच में “गैर-पारदर्शी” और “अनुचित” तरीका अपनाया है।
हाल ही में जारी एक वीडियो में देशमुख ने कहा है कि उन पर ED की जांच में सहयोग न करने के आरोप गलत हैं। ‘जब भी ED का समन आया मैंने उनका लिखित रूप से बताया कि हाईकोर्ट के केस की नतीजा आने के बाद मैं खुद ED ऑफिस आउंगा। मेरे ऊपर आरोप लगाने वाले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह आज कहां हैं?’

देशमुख के खिलाफ और क्या-क्या केस चल रहे हैं?
ED के अलावा देशमुख से CBI और इनकम टैक्स भी जांच कर रहा है। अनिल देशमुख से जुड़े 2 केस पर CBI जांच कर रही है।
पहला केस मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के आरोपों से जुड़ा है। सिंह ने आरोप लगाए थे कि गृहमंत्री रहते हुए देशमुख ने पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर में अवैध वसूली की। साथ ही मुंबई के बार और रेस्टोरेंट संचालकों से हर महीने 100 करोड़ रुपए वसूलने के लिए सचिन वझे का इस्तेमाल किया। CBI ने इस मामले में अप्रैल 2021 में FIR दर्ज की थी।
इसके अलावा CBI अपने ही सब इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी और देशमुख के वकील आनंद डागा की भी जांच कर रही है। ये मामला एक जांच रिपोर्ट के लीक होने से जुड़ा है, जिसमें देशमुख पर वसूली के लिए पुलिसकर्मियों पर दबाव डालने का आरोप लगाया गया था।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी देशमुख पर टैक्स चोरी की जांच कर रहा है। डिपार्टमेंट का आरोप है कि देशमुख परिवार से जुड़े 3 शैक्षणिक संस्थानों ने इनकम छुपाकर टैक्स चोरी की है। ये भी आरोप है कि ट्रस्ट को दिल्ली की कंपनियों से 4 करोड़ का बोगस डोनेशन भी मिला है।
अनिल देशमुख केस में कब-क्या हुआ?
20 मार्च: दिल्ली के पूर्व पुलिस कमीश्नर परमबीर सिंह ने देशमुख पर हर महीने 100 करोड़ रुपए वसूली के आरोप लगाए।
14 अप्रैल: परमबीर सिंह के आरोपों पर CBI ने अनिल देशमुख के बयान दर्ज किए।
24 अप्रैल: CBI ने देशमुख के खिलाफ रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप में FIR दर्ज की।
11 मई: ED ने रिश्वत लेने के आरोप में देशमुख पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।
24 जून: ED ने देशमुख के घर की तलाशी ली।
25 जून: देशमुख के पर्सनल असिस्टेंट कुंदन शिंदे और सेक्रेटरी संजीव पलांडे को ED ने गिरफ्तार किया।
26 जून: ED ने देशमुख को समन भेजा।
29 जून: देशमुख ने कोरोना का हवाला देते हुए फिजिकली प्रजेंट होने से छूट मांगी।
3 जुलाई: ED ने दोबारा देशमुख को समन जारी किया।
5 जुलाई: देशमुख ने ED को लिखा कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए उन्होंने अदालत में अर्जी दायर की है।
16 जुलाई: ED ने देशमुख की 4.20 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की।
30 जुलाई: ED ने देशमुख को तीसरा समन जारी किया। 17 अगस्त को चौथा समन जारी किया गया।
18 अगस्त: देशमुख ने समन का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम राहत के लिए अदालत का रुख किया है।
5 सितंबर: समन जारी होने के बाद भी पेश न होने पर ED ने देशमुख के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया।
17 सितंबर: टैक्स चोरी के मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भी देशमुख के घर की तलाशी ली।
29 अक्टूबर: बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशमुख की ED के समन को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
31 अक्टूबर: CBI ने संतोष शंकर जगताप नाम के एक कथित बिचौलिए को गिरफ्तार किया।
1 नवंबर: देशमुख ED के सामने पेश हुए।
2 नवंबर: करीब 12 घंटे चली पूछताछ के बाद ED ने देशमुख को गिरफ्तार कर लिया।
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