मनी लॉन्ड्रिंग केस:ED की जांच में खुलासा- बुरा फंसे देशमुख
अनिल देशमुख अलग-अलग नामों से 27 कंपनियां चला रहे थे, इनमें कई फर्जी
ED ने इनकी गिरफ्तारी एंटीलिया केस में गिरफ्तार बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वझे द्वारा वसूले 4.7 करोड़ रूपये के मामले में की है।
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ED की हिरासत में हैं। उन्हें करीब 13 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था। अब ED को ऐसी 13 कंपनियों के बारे में पता चला है जो अनिल देशमुख, उनके बेटों सलिल और ऋषिकेश के सीधे कंट्रोल में थीं। साथ ही 14 ऐसी कंपनियां हैं, जो अनिल देशमुख के करीबियों के कंट्रोल में चल रही थी। सूत्रों के मुताबिक, इनमें कुछ शेल कंपनियां भी हैं।
ED की जांच में यह बात सामने आई है कि इन कंपनियों के बीच लगातार ट्रांजैक्शंस हुए हैं। ED ने कोर्ट में दावा किया है कि इन संस्थाओं का इस्तेमाल कथित तौर पर अनिल देशमुख के गलत तरीके से कमाए गए धन के इस्तेमाल के लिए किया गया था। जब इनसे जुड़े बैंक खातों की जांच की गई, तो पता चला कि देशमुख के परिवार के मेंबर्स के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित कंपनियों से बड़े पैमाने पर पैसे का फ्लो हुआ है।
अनिल देशमुख 5 बार समन के बाद ED ऑफिस में हाजिर हुए थे।
कंपनियों का कोई धंधा नहीं, केवल फंड रोटेट कर रहीं
इन कंपनियों की बैलेंस शीट और बैंक अकाउंट स्टेटमेंट की जांच से संकेत मिलता है कि इनमें से कुछ संस्थाओं का कोई वास्तविक व्यवसाय नहीं है। उनका उपयोग केवल फंड के रोटेशन के लिए किया जा रहा है। ED ने इस संबंध में कई दस्तावेज भी अदालत में सबूतों के तौर पर पेश किये हैं।
सचिन वझे से जुड़े मामले में गिरफ्तार हुए हैं देशमुख
अनिल देशमुख, मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा लगाए 100 करोड़ की वसूली मामले के आरोपी भी हैं। उनके खिलाफ CBI भी जांच कर रही है। हालांकि, ED ने इनकी गिरफ्तारी एंटीलिया केस में गिरफ्तार बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वझे द्वारा वसूले 4.7 करोड़ रूपये के मामले में की है। ये पैसे सचिन वझे ने मुंबई के कई रेस्तरां और बार ओनर्स से लिए गए और देशमुख के निजी सचिव (पीएस) संजीव पलांडे और निजी सहायक (पीए) कुंदन शिंदे को दिए थे। दोनों को ED अरेस्ट कर चुकी है।
कोर्ट ने अनिल देशमुख को 6 नवंबर तक ED की कस्टडी में भेज दिया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज की देशमुख की याचिका
जांच में यह भी सामने आया है कि इस पैसे को एक शेल कंपनी के नाम पर ट्रांसफर किया गया और फिर उसे नागपुर स्थित एक चैरिटेबल ट्रस्ट श्री साईं शिक्षण संस्था के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया। इस ट्रस्ट को देशमुख का परिवार चला रहा है। इसे मनी लॉन्ड्रिंग मानते हुए ED ने देशमुख को गिरफ्तार किया है। इसी मामले में उनकी पत्नी और बेटे को भी ED ने समन किया है, लेकिन वे अभी तक पेश नहीं हुए हैं। पिछले हफ्ते देशमुख की उस याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने ED का समन रद्द करने की मांग की थी।
ED ने जब्त की थी देशमुख की दो प्रॉपर्टी
इसी मामले में 15 दिन पहले देशमुख और उनके परिवार की 4.2 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त किया गया था। इसमें नागपुर का एक फ्लैट और पनवेल की एक जमीन शामिल है। इसी मामले में देशमुख के PA संजीव पलांडे और PS कुंदन शिंदे को अरेस्ट किया गया था। दोनों फिलहाल केंद्रीय एजेंसी की कस्टडी में हैं।
परमबीर सिंह ने देशमुख पर 100 करोड़ रुपए की वसूली का आरोप लगाया था।
परमबीर सिंह के आरोप के बाद शुरू हुई है जांच
यह मामला देशमुख पर लगे वसूली के आरोपों से जुड़ा है। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने करीब ढाई महीने पहले राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने ही मुंबई पुलिस के निलंबित अधिकारी सचिन वझे को हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट दिया था।
एक दिन पहले देशमुख का मिडिलमैन अरेस्ट हुआ
इसी से जुड़े मामले में CBI ने रविवार को पहली गिरफ्तारी की थी। सेंट्रल एजेंसी ने ठाणे से संतोष शंकर जगताप नाम को पकड़ा है। फिलहाल वह चार दिन की कस्टडी में है। जगताप को अनिल देशमुख का मिडिलमैन बताया जा रहा है। CBI ने कुछ दिन पहले कुछ कॉन्फिडेंशियल डॉक्युमेंट्स लीक करने के मामले में अनिल देशमुख के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। 2 सितंबर को जांच एजेंसी ने देशमुख के वकील आनंद दागा और अपने ही सब-इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी को भी अरेस्ट किया था।
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