हक्कानी नेटवर्क की भारत से खीझ
अनस हक्कानी बोला- अफगानिस्तान का सच्चा दोस्त नहीं है भारत, 20 साल से युद्ध भड़काने में लगा था
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तालिबान सरकार में शामिल आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क की भारत को लेकर सोच सामने आ गई है। हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी के भाई अनस हक्कानी ने कहा है कि अफगानिस्तान के लोग भारत को सच्चा दोस्त नहीं मानते। साथ ही कहा कि अफगानिस्तान को लेकर भारत को अपनी नीति बदलनी चाहिए। न्यूज चैनल WION से बातचीत में अनस हक्कानी ने तालिबान के राज में अफगानिस्तान के भविष्य और भारत-अमेरिका से रिश्तों को लेकर चर्चा की,
सवाल: भारत से रिश्तों को लेकर क्या सोचते हैं, भारत ने अफगानिस्तान में विकास के कई प्रोजेक्ट शुरू किए थे।
जवाब: यह दुर्भाग्य है कि भारत पक्षपात करता है और पिछले 20 सालों से युद्ध को भड़काने में लगा था। उसने शांति के लिए कुछ नहीं किया, अभी तक उसकी भूमिका नकारात्मक रही है। यहां तक कि भारतीय मीडिया में भी इसकी झलक दिखती है, उसने तालिबान की खराब छवि पेश की है। भारत को अफगानिस्तान के प्रति अपनी नीति बदलने की जरूरत है।
सवाल: अमेरिका ने जब ISIS को निशाना बनाकर ड्रोन स्ट्राइक की तो क्या उसका तालिबान से को-ऑर्डिनेशन था?
जवाब: उन्होंने बेकसूरों को निशाना बनाया। हमने उनका कोई साथ नहीं दिया, न ही उन्हें ड्रोन के इस्तेमाल की इजाजत दी थी। हम ISIS से निपटने में सक्षम हैं, अगर अमेरिका के पास कोई जानकारी है तो उन्हें हमसे को-ऑर्डिनेट करना चाहिए, हम कार्रवाई करेंगे।
सवाल: तालिबान कहता है कि वह बदल गया है, अगर ऐसा है तो युवा चेहरे के तौर पर आपको सरकार में शामिल क्यों नहीं किया गया।
जवाब: तालिबान के बदलाव को किसी एक व्यक्ति तक सीमति मत कीजिए। सरकार में बदलाव दिखेंगे, लेकिन तालिबान की देशभक्ति और उसका इस्लामी पक्ष हमेशा बना रहेगा।
सवाल: महिला राजनयिकों और उनकी आवाजाही को लेकर क्या कोई प्रतिबंध लागू किए जाएंगे?
जवाब: अफगानिस्तान में महिला राजनयिक काम कर सकती हैं। उन पर कोई रोक नहीं होगी, लेकिन सांस्कृतिक मूल्यों का सभी को सम्मान करना होगा।
सवाल: अगर अमेरिका अफगानिस्तान में अपनी मौजूदगी बनाए रखता है और अफगानियों का पलायन जारी रहता है तो क्या करेंगे?
जवाब: अमेरिका को अफगानिस्तान से निकालना एक चुनौती थी, इसके लिए लोग आत्मघाती हमलों की हद तक चले गए थे। हम किसी बाहरी का दखल नहीं चाहते। जिन लोगों ने अमेरिका का साथ दिया उनके यहां से चले जाने पर हमें गर्व है। आगे भी जो जाना चाहें वे वीजा और पासपोर्ट समेत तय प्रक्रिया पूरी कर जा सकते हैं। इस बारे में आपको विदेश मंत्रालय से बात करनी चाहिए।
सवाल: क्या स्पेशल इमिग्रेंट वीजा वाले लोगों को जाने दिया जाएगा?
जवाब: इस पर मैं कमेंट नहीं कर सकता। जिनके पास फॉर्मल वीजा और पासपोर्ट हैं वे जा सकते हैं, इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
सवाल: तालिबान सरकार में शामिल 14 सदस्यों को संयुक्त राष्ट्र ने ब्लैकलिस्ट कर रखा है, इस बारे में आगे की राह क्या रहेगी?
जवाब: ये समस्या अमेरिका के पक्षपाती रवैए की वजह से खड़ी हुई है। अमेरिका ने कई बार अपने वादे तोड़े हैं। शायद वे चाहते हैं कि दोबारा संघर्ष हो। अमेरिका की शांति के मायने स्पष्ट नहीं हैं, इसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी समझता है।