आशी की एक कप चाय …
पत्रकार बृजेश तिवारी की कलम से
मेरी प्यारी राजकुमारी आशी, आज जब इस आधी रात में मैं जब यह लिख रहा हूँ, तो ज़ुबान पर तुम्हारी पकाई हुई मीठी चाय का स्वाद उस चाय को दुबारा पीने के लिए बेचैन कर रहा है। उस चाय के मीठे स्वाद और दुबारा फिर से तुम्हारे हाथों की बनी चाय पीने की बेचैनी बढ़ रही है। और तुम्हारे चाय बनाने के दौरान की मेहनत को याद कर दुनिया का सबसे खुशनसीब #तासू होने का गर्व मुझे महसूस हो रहा है। ऐसा लग रहा है मुझसे ज़्यादा कोई और अमीर नहीं हो सकता है क्योंकि मेरी ज़िंदगी में दुनिया की सबसे प्यारी बेटी आशी है। मेरी प्यारी राजकुमारी, ईश्वर बेटा हर किसी को दे देते हैं लेकिन बेटी केवल उन गिने चुने लोगों को देते है जिनके ऊपर ईश्वर खुद से ज़्यादा यक़ीन करते है।
एक पिता के लिए बेटियाँ ईश्वर की वो वरदान होती है जिसे भगवान एक पिता की खुशकिस्मती पर ही उसके ज़िन्दगी में बेटी देती है। एक पिता की ज़िंदगी में बेटी होना ही मानो उसके अगले कई जन्मों तक उसका जन्म लेना सार्थक हो गया हो। आशी आज मैं तुम्हें शुक्रिया कहना चाहता हूँ लेकिन समझ नहीं आ रहा है कि शुक्रिया कैसे कहूँ। क्या उस चाय के लिए महज़ शुक्रिया कहना न्यायसंगत होगा जिस चाय की पकी हुई मीठी खुशबू और अदरक का सोंधापन मेरे ज़हन में आजीवन रहेगा। या फिर कितना और कितनी बार शुक्रिया कहूँ मेरी ज़िंदगी में मेरी बेटी बनकर दुनिया के सबसे दौलतमंद और खुशनसीब तासू बनाने के लिए।
हालांकि पहले मुझे इस रिश्ते की ताकत समझ नहीं आती थी जब हर चीज हमसे पहले मिल #दी को मिल जाती थी। वैसे मैं अपने परिवार में सबसे छोटा बेटा और पोता हूँ। घरों में अक्सर लोग कहा करते हैं कि बेटा उसमें भी खासकर छोटे बेटे को ज्यादा प्यार मिलता है। लेकिन जब मैं पिता के एहसास के पड़ाव पर पहुंचा हूँ तब यह बात मुझे सफ़ेद झूठ मालूम पड़ने लगी है। क्योंकि बेटियों से बढ़कर एक पिता किसी को भी ज़्यादा लाड-प्यार नहीं दे सकता है। वैसे अक्सर यह भी कहा जाता है कि बेटे मां के करीब होते हैं तो बेटियां अपने पापा के। बेटियों के साथ कभी नरम तो कभी गरम अंदाज में अनुशासन और व्यावहारिकता का पाठ पढ़ाने वाले पापा ही नई पीढ़ी के सपनों को पंख फैलाने का खुला आसमान और अद्भुत आत्मविश्वास भी देते हैं। आशी आज का दिन मेरी ज़िंदगी का बेहद खास दिन बन गया जब 3 साल की मेरी बच्ची आशी ने कहा “मैं आपके लिए चाय बना रही हूँ”। शाम को जब भाभी ने आवाज लगाई और मैं भागते हुए रसोई पहुंचा तो मेरी आँखें ठहर गई। मेरी आँखों और हृदय में ममता का अपार करुणा महसूस हुआ जब देखा कि आशी अदरक कूट रही थी। आज शाम की चाय जो आशी ने मेरे लिए बनाई है ये चाय मेरे लिए सबसे बेहतर चाय रही है और हमेशा भी रहेगी। जिसके स्वाद मेरे ज़ुबान पर और आशी की मेहनत आजीवन मेरे ज़हन में रहेगी। हाँ, भावनाओं को अभिव्यक्त करने में हृदय थोड़ा संकोच जरूर कर रहा था, क्योंकि हमारे भारतीय समाज में एक पिता अपने बच्चों के लिए हृदय में अथाह प्यार और दुलार रखते हुए भी अक्सर अपनी झिझक के साथ छुपा लेता है। लेकिन मन के भीतर अथाह प्रेम केे सैलाब ने उन आज उस झिझक की मोटी दीवार को तोड़ चुका है।
हालांकि मैं अपने इस एहसास को बताना नहीं चाहता था बल्कि पिता की तरह तुम्हें दिखाना चाहता था कि तुम्हारा हमलोगों की ज़िंदगी में होना ही हमारी ज़िंदगी को कितना खूबसूरत बना दिया है।
तुम्हारा तासू ….