यूपी में डॉक्टरों की हड़ताल.. 4 मरीजों की मौत.. वजह कर देगी हैरान, सवालों के घेरे में योगी सरकार

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जेएन मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की हड़ताल लगातार दूसरे दिन भी जारी रही। इस हड़ताल के कारण इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गईं और दो दिन में इलाज के अभाव में चार मरीजों की मौत हो गई, जिनमें से एक युवक सुरेंद्र की दर्दनाक मौत ने पूरे जिले को झकझोर दिया है। करीब 1200 से अधिक मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ा, जिससे आम जनता में भारी आक्रोश है।

भाई ने की मारपीट, मेडिकल कॉलेज में सुरेंद्र की मौत

23 अप्रैल की रात को बरला कस्बे में सुरेंद्र नामक युवक को उसके ही बड़े भाई ने मारपीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। उसे पहले दीनदयाल संयुक्त अस्पताल में भर्ती कराया गया और हालत बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। लेकिन वहां इमरजेंसी सेवाएं बंद होने की वजह से सुरेंद्र को समय पर इलाज नहीं मिल सका और उसकी मौत हो गई। उसके साथ तीन अन्य मरीजों की भी इसी कारण से जान चली गई।

हड़ताल की वजह: हॉर्स शो में डॉक्टरों पर हमला

22 अप्रैल को एएमयू परिसर में आयोजित हॉर्स शो के दौरान एक घायल व्यक्ति को इलाज के लिए जेएन मेडिकल कॉलेज लाया गया था। इसी दौरान कुछ लोगों ने रेजीडेंट डॉक्टरों के साथ बदसलूकी और फायरिंग की, जिससे आक्रोशित होकर डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं बंद कर हड़ताल शुरू कर दी।

डॉक्टरों की प्रमुख मांगें

  • मेडिकल कॉलेज के सभी प्रवेश द्वारों पर मेटल डिटेक्टर की व्यवस्था
  • इमरजेंसी विभाग के पास अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती
  • डॉक्टरों के साथ अभद्रता और फायरिंग करने वालों की गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई

प्रशासन की कार्रवाई और जवाब

  • कॉलेज परिसर में 15 पूर्व सैनिकों की सुरक्षा में तैनाती की गई है
  • प्रवेश द्वारों पर मेटल डिटेक्टर तत्काल प्रभाव से लगाए गए हैं
  • पुलिस की स्थायी तैनाती के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया है

प्रॉक्टर प्रो. वसीम अली ने कहा है कि बातचीत जारी है और जल्द समाधान की उम्मीद है। वहीं, रेजीडेंशियल डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) की आमसभा में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

निजी अस्पतालों में भीड़, मरीज बेहाल

जेएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी सेवाएं बंद होने के कारण अलीगढ़, एटा, कासगंज, हाथरस, बदायूं आदि जिलों से आने वाले मरीजों को मेडिकल रोड, सिविल लाइन, रामघाट रोड जैसे क्षेत्रों में स्थित निजी नर्सिंग होम्स का रुख करना पड़ा, जहां मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिली।

जनता का सवाल – इलाज नहीं, तो इंसाफ कब?

हड़ताल के चलते एक के बाद एक जानें जा रही हैं, लेकिन प्रशासन अब भी आश्वासन तक सीमित है। आम जनता अब यह सवाल उठा रही है कि जब मेडिकल कॉलेज जैसी संस्था में सुरक्षा नहीं है, तो आम जनता की जान की जिम्मेदारी कौन लेगा?

सरकार से सवाल – कितनी और मौतों के बाद टूटेगा ये गतिरोध?

एक ओर सरकार दावा करती है कि सभी कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आम नागरिक इलाज के बिना दम तोड़ रहे हैं। सवाल उठता है कि क्या सरकारी संस्थानों में इलाज अब सुरक्षा के मोहताज हो गए हैं? और अगर हां, तो कब तक?

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