अमेठी : रास्ते की समस्या से 15 वर्षो से जूझते ग्रामीण, प्रशासन के बड़े-बड़े वदो की खुली पोल
अमेठी : राजनीतिक गतिविधियों के चलते अमेठी हमेशा सुर्खियों में बना रहता है । यह शुरू से ही है कांग्रेस पार्टी के गढ़ के रूप में जाना गया । यहां से पिछले 15 वर्षों तक लगातार राहुल गांधी सांसद हुआ करते थे । उसके पहले भी नेहरू गांधी परिवार ही की विरासत के रूप में ही जाना जाता था । किंतु आज यह बीजेपी के गढ़ के रूप में परिवर्तित हो चुका है । क्योंकि यहां की रहनुमाई अब भारतीय जनता पार्टी की सांसद के रूप में वर्तमान केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कर रही हैं ।
इस लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें आती हैं । जिसमें से 4 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के ही विधायक विराजमान हैं । किंतु इस बीजेपी के गढ़ में अपने काम की बदौलत पहचान बनाने वाले तेजतर्रार सदर सीट से समाजवादी पार्टी के मात्र एक विधायक राकेश प्रताप सिंह की विधानसभा क्षेत्र अथवा यूं कहें कि उनके गांव से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव ऐसा भी है । जहां पर आवागमन की बड़ी समस्या है । यह गांव तुलसीपुर ग्राम सभा का एक मजरा पूरे रम्मा सुकुल का पुरवा है । यहीं पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 931 से निकला संपर्क मार्ग जो पूरे रम्मा सुकुल का पुरवा होते हुए भगवान दुबे का पुरवा तक जाता है। यह दो गांवों को जोड़ने वाला संपर्क मार्ग है । जो अभी तक चक मार्ग ही बना हुआ है । जहां पर रहने वाले लोग पिछले 15 वर्षों से विभिन्न विधायक सांसद व सरकार के विकास के दावों की पोल खोलते हैं । इस गांव में रहने वाले लोगों को साल भर में लगभग 6 महीने घर से पाजामा या पेंट उतार कर मुख्य मार्ग तक पहुंचना होता है । क्योंकि पूरे रास्ते में इस कदर जलभराव रहता है की इसमें गाड़ी क्या कोई पैदल भी आसानी से नहीं निकल पाता ।
जबकि यह गांव राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 931 से मात्र 450 मीटर की दूरी पर स्थित है। लेकिन यह 450 मीटर 4.5 किलोमीटर से भी अधिक भारी दिखाई पड़ता है। क्योंकि इस गांव के लोग अपने घर तक साइकिल और बाइक भी नहीं ले जा पाते हैं। वह बगल के ही गांव में दूसरे के घर पर खड़ी कर देते हैं और पैंट उतार कर कंधे पर रखकर पैदल आया जाया करते हैं ।सबसे बड़ी समस्या प्रतिदिन कामकाज के लिए बाहर जाने वालों तथा स्कूल के समय में स्कूली बच्चों को होती है । इससे भी बड़ी बात तो यह है की यदि इन दिनों में भगवान ना करें किसी को फायर ब्रिगेड अथवा एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ जाए। क्योंकि कई बार ऐसा हुआ है की गांव में जब किसी की तबीयत खराब हुई तब एम्बूलेंस को कॉल किया गया । एंबुलेंस आती है और मुख्य सड़क अर्थात हाईवे पर ही खड़ी हो जाती है । ऐसे में ग्रामीण बीमार व्यक्ति को चारपाई पर लादकर सड़क तक पहुंचाते हैं। तब जाकर एंबुलेंस से अस्पताल तक मरीज पहुंच पाता है । एक बार तो ऐसा हुआ की लोग मरीज को चारपाई पर लादकर सड़क पर ला रहे थे तभी स्लिप करके गिर गए और मरीज को और ज्यादा छोटे आ गई और वह अत्यंत गंभीर स्थिति में हो गया। यहां पर वोट मांगने के लिए सभी पार्टियां समय पर पहुंचती है और बड़े-बड़े वादे कर कर चली जाती हैं । लेकिन वादे तो वादे ही रह जाते हैं। आज तक कभी पूरा ही नहीं हुए ग्रामीणों के द्वारा रास्ते के लिए ग्राम प्रधान, विधायक से लेकर अधिकारियों एवं सांसद तक से गुहार लगाई गई लेकिन आज तक यह रास्ता नहीं बन पाया । सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस रास्ते पर सिर्फ बरसात में ही नहीं बल्कि नहर के कटने के चलते भी जबरदस्त जलभराव हो जाता है। जिसके कारण ग्रामीणों को बरसात वाली ही समस्या बगैर बरसात के मौसम में भी उठानी पड़ती है। यहां पर परेशान हुए लोगों ने अब तो यह मन बना लिया है कि वह किसी भी चुनाव में किसी भी पार्टी को वोट नहीं करेंगे चाहे वह जो भी हो । क्योंकि सपा, बसपा कांग्रेस, भाजपा सभी को देख लिया लेकिन किसी ने भी अपना रुख इधर मोड़ने की कोशिश नहीं की जिससे ग्रामीणों को समस्या से निजात मिल सके।
रिपोर्टर – दिलीप यादव