अमेठी :- एक समाजसेवी ऐसा भी जो अपने पैसों से सड़क को कर रहा है ‘गड्ढा मुक्त’…..
उत्तर प्रदेश कि योगी सरकार में सड़कों को गड्ढा मुक्त किए जाने के दावे तो तमाम किए गए। लेकिन वह दावे कागजी और किताबी ही रहे । हकीकत की धरातल पर वह कदम नहीं रख पाए । जिसका मुख्य कारण आवंटित धन का अधिकारियों के द्वारा बंदरबांट किया जाना रहा है। ऐसा ही मामला अमेठी जिले से प्रकाश में आया है । जहां पर अमेठी कस्बे से निकलने वाली सड़क जो किठावर तक जाती है । यह सड़क प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत 11 वर्ष पहले बनी थी । यह दो जिलों को जोड़ने वाली सड़क है । इस पर हजारों गांव के लोगों का प्रतिदिन आवागमन रहता है । इसकी लंबाई 16.2 किलोमीटर है। यह सड़क पिछले एक दशक से टूट कर जर्जर अवस्था में पहुंच गई है । जिसके चलते इधर से गुजरने वाली गाड़ियां खराब हो जाती है टूट जाती है । साथ ही दुपहिया वाहन सवार व्यक्ति आए दिन गिरकर चोटिल होते हैं और यहां तक कि उनकी मृत्यु हो जाती है । इसके लिए तमाम लोगों ने इसकी कई बार अधिकारियों से शिकायत करी । लेकिन जिस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया । वहीं पर अमेठी तहसील में अधिवक्ता राजेश कुमार मिश्रा लगातार इसकी शिकायत अधिकारियों से करते रहे । जिसमें अधिवक्ता द्वारा सड़क पर बने जानलेवा गड्ढों को लेकर कई बार तहसील दिवस में शिकायत की गई । जिसका संज्ञान 4 जून 2019 को को तत्कालीन जिलाधिकारी रहे डॉ राम मनोहर मिश्र के द्वारा किया गया और पीएमजेएसवाई के अधिशासी अभियंता को पत्र लिखा गया तथा इस संबंध में निर्देशित किया गया कि इस मार्ग को सिर्फ शीर्ष प्राथमिकता पर गड्ढा मुक्त करना सुनिश्चित करें। उक्त प्रकरण में अधिशासी अभियंता पीएमजीएसवाई के द्वारा जिला अधिकारी अमेठी को पत्र लिखकर अवगत कराया गया कि उक्त सड़क पर बने गड्ढों को भरने के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया था लेकिन ठेकेदार द्वारा गड्ढों को नहीं भरा गया । जिससे उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जा रहा है । दूसरे ठेकेदार द्वारा शीघ्र ही सड़क पर पैचिंग का काम कराया जाएगा । इसके उपरांत 16 दिसंबर 2019 को पीएमजीएसवाई के अधिशासी अभियंता के द्वारा जिलाधिकारी अमेठी को पुनः पत्र लिखकर अवगत कराया गया कि बार-बार अनेकों पत्र के माध्यम से गड्ढा मुक्त करने के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया पर उसने गड्ढा मुक्त नहीं किया । जबकि अनुबंध के अनुसार ठेकेदार को 5 वर्ष तक गड्ढा मुक्त करना था । इसलिए ठेकेदार का अनुबंध निरस्त करने की स्वीकृति की गई है । पुनः निविदा आमंत्रित कर अनुबंध गठित करके मार्ग को गड्ढा मुक्त कर दिया जाएगा। इसके बाद से लगभग 10 महीने बीत गए लेकिन आज तक ना निविदा आमंत्रित हुई और ना ही सड़क गड्ढा मुक्त। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह हाल उस अमेठी का है जहां का नेतृत्व केंद्रीय मंत्री सुमित ईरानी करती है वह यहां की सांसद है और इसके साथ साथ अमेठी में विधायक भी भारतीय जनता पार्टी का ही है इसके बावजूद अमेठी वासी दर-दर भटकने को मजबूर है। इनकी पीड़ा और व्यथा किसी को ना तो सुनाई देती है और ना ही दिखाई देती है। अमेठी किठावर मार्ग से प्रतिदिन हजारों की संख्या में आवागमन करने वाले लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती है। जिस पर कोई अधिकारी ध्यान नहीं देता है सब के सब सिर्फ खानापूर्ति में ही लगे रहते हैं । निविदा दी जाती है ठेकेदार काम नहीं कराता है । सिर्फ पैसे का बंदरबांट हो जाता है और हकीकत के धरातल पर कुछ नहीं होता है । यह है सरकार की हकीकत । फिलहाल एक दिन इसी रास्ते से गुजर रहे समाजसेवी कपिल सिंह ने देखा की बाइक सवार पिता-पुत्र गड्ढे होने की वजह से बाइक से गिर गए । पिता हेलमेट लगाने की वजह से तो बच गया लेकिन पुत्र को गंभीर चोटे आई तभी वहां पर स्थानीय लोग इकट्ठा हो गए और लोगों ने कपिल सिंह से निवेदन किया कि किसी तरह से इस पर हुए जानलेवा गड्ढों से हम लोगों को मुक्ति दिलाइए । जिस पर कपिल सिंह ने गंभीरता से विचार करते हुए अपने निजी स्रोतों से सड़क को गड्ढा मुक्त कराने का काम शुरू कर दिया । जो कि पिछले 6 दिनों से लगातार चल रहा है । जो गड्ढे बड़े बड़े हैं और मैं ईट के टुकड़े डालकर उसकी कुटाई कर दी जाती है और उस पर मिट्टी डाल दी जा रही है । जिससे होने वाले हादसों में कमी लाई जा सके। हालांकि यह काम अत्यंत सराहनीय और पुनीत का कार्य है । लेकिन इस तरह के समाजसेवी लोग मिलते कहां है? ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यह खड़ा होता है कि जब समाजसेवी और जनता को ही सड़कें बनवाने है । तो आखिर सरकार क्या कर रही है ? क्या सरकार सिर्फ जनता के पैसों पर अपना कब्जा जमाने के लिए है ? अथवा उस पैसे की सिर्फ बंदरबांट करने मैं लगी हुई है ? हालांकि इससे जनता को फौरी तौर पर बड़ी राहत मिल जाएगी । लेकिन पूरी समस्या का समाधान या नहीं है । आखिर जनता को इन गड्ढों से कब पूरी तरह से निजात मिलेगी यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।
रिपोर्टर – दिलीप यादव