अमेज़न और क्लाउडटेल की अनैतिक साझेदारी के खात्मे की घोषणा ई कॉमर्स व्यापार में पसंदीदा विक्रेता मॉड्यूल का उदाहरण

 

अमेज़न और नारायण मूर्ति की कैटारमन के बीच संयुक्त उद्यम को समाप्त करने की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा भारत के ई-कॉमर्स व्यवसाय को पारदर्शी, निष्पक्ष और तटस्थ व्यापार बनाने के लिए किये गए ठोस प्रयासों का परिणाम है क्योंकि अब यह स्पष्ट हो चुका है की भारत में अब ई कॉमर्स में नियमों एवं कानूनों का उल्लंघन कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ! इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा की इस समझौते के ख़त्म होने की घोषणा के बाद भी क्लाउडटेल, जो कि कैटामारन की एक कम्पनी है ,अमेज़ॅन पर विक्रेता होने के नाते जांच के दायरे से बच नहीं सकती है! भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग जब जल्द ही अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट की जांच करेगा तो उसमें क्लॉउडेल की भी जांच होना अनिवार्य है ! कैट ने पिछले 2 वर्षों सेअधिक समय से विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के नियम एवं कानूनों के उल्लंघन के खिलाफ एक राष्ट्रीय आंदोलन का चला रहा है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि अमेज़ॅन के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अमेज़न का ही एक पसंदीदा विक्रेता के रूप में क्लाउडटेल इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और अन्य कंपनियां प्राप्त ऑर्डर को उनके अपने पसंदीदा विक्रेताओं को देती हैं । यह एक ज्ञात तथ्य है कि इन ई-कॉमर्स पोर्टलों पर आये ऑर्डर सीधे विक्रेता के पास जाने के बजाय अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट के पास जाते हैं और अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसे मार्केटप्लेस यह तय करते हैं कि ऑर्डर डिलीवरी के लिए किसको सौपा जाए और ये कंपनियां क्लाउडटेल जैसे अपने पसंदीदा विक्रेताओं को इस मामले में तरजीह देती हैं !

भरतिया और खंडेलवाल ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पिछले एक वर्ष से अधिक समय में देश के ई कॉमर्स व्यापार को सुव्यस्थित करने के लिए उठाये गए विभिन्न क़दमों की सराहना करते हुए कहा की केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी की ई-कॉमर्स व्यवसाय कुछ बड़ी कंपनियों की एकमात्र संपत्ति नहीं बनना चाहिए और सरकार के इस मजबूत रुख से ये साबित होता है कि कानून के उल्लंघनकर्ताओं को अब और अधिक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह सरकार का एक स्पष्ट संकेत है कि सरकार के कानून, नियमों और नीतियों का सभी को बिना किसी भेदभाव के पालन करना होगा। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियमों का हालिया मसौदा ई-कॉमर्स व्यापार को उपभोक्ता उन्मुख बनाने के लिए एक केंद्र सरकार का एक ठोस एवं बेहतरीन कदम है।

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि अमेज़ॅन और कैटामरन के बीच संयुक्त उद्यम को समाप्त करने की घोषणा नारायण मूर्ति द्वारा एक कवर अप प्रयास प्रतीत होता है। तथ्य यह है कि अमेज़ॅन क्लाउडटेल के माध्यम से कानून और एफडीआई नीति का उल्लंघन करता आ रहा है जिसके विषय में मूर्ति को बहुत पहले या यहां तक कि अमेज़ॅन के साथ संयुक्त उद्यम में प्रवेश करने के समय पर भी i पता होना चाहिए था। प्रश्न यह उठता है कि मूर्ति ने यह निर्णय लेने में इतना समय क्यों लिया। क्या कभी मूर्ति ने अमेज़ॅन से यह सवाल किया कि एफडीआई नीति की पूर्ण अवहेलना करते हुए क्लाउडटेल को अमेज़ॅन पर पसंदीदा विक्रेता के रूप में तरजीह क्यों दी गई । मूर्ति निस्संदेह एक स्टेट्समैन हैं और हम उनका बहुत सम्मान करते हैं लेकिन कुछ सवाल उठना लाजिमी है, जिसके लिए क्लाउडटेल को जवाब देना होगा जब सीसीआई अमेज़ॅन के बिजनेस मॉड्यूल की जांच करेगा तब सब तथ्य सामने होंगे। जहां तक अमेज़न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर क्लाउड टेल की गतिविधियों का संबंध है, अमेज़न और क्लाउड टेल दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि इस बात का खुलासा जल्द होगा कि क्लाउडटेल का यह कदम जांच से बचने की रणनीति का हिस्सा तो नहीं है। लेकिन श्री मूर्ति द्वारा एक ऐसी कंपनी के साथ हाथ मिलाना जिसका भारत के साथ कोई बंधन नहीं है सिवाय ई-कॉमर्स पर हावी होने और भारत के छोटे व्यापारियों को खत्म करने की अलावा और कोई मंशा नही है, बेहद दुखद है !

Related Articles

Back to top button