हिंद-प्रशांत इलाके में शक्ति संतुलन
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन की सुरक्षा साझेदारी से चीन घबराया, कहा- शीत युद्ध की मानसिकता छोड़नी चाहिए
हिंद-प्रशांत महासागरीय इलाके के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की सुरक्षा साझेदारी से चीन घबरा गया है। अपनी अनदेखी से तिलमिलाए चीन ने कहा है कि इन देशों को किसी तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान पहुंचाने के मकसद से फैसले नहीं लेने चाहिए। उन्हें अपनी शीत युद्ध वाली मानसिकता और वैचारिक पूर्वाग्रहों को दूर करना चाहिए। चीन की तरफ से ये बयान वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने जारी किया है।
बता दें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन जो साझेदारी की है उसे AUKUS नाम दिया है। इसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और शक्ति संतुलन बनाए रखने के साथ परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों पर काम करना है। अफगानिस्तान में बने मौजूदा हालात के बाद इस तरह के संगठन का बनना काफी अहम माना जा रहा है। अमेरिका के लिए इस समझौते की अहमियत इसलिए भी है ताकि चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सके।
अमेरिकी तकनीक से ऑस्ट्रेलिया बनाएगा पनडुब्बियां, फ्रांस ने जताया विरोध
इस समझौते के तहत अमेरिका परमाणु क्षमता वाली पनडुब्बियां तैयार करने के लिए ऑस्ट्रेलिया को तकनीक भी मुहैया करवाएगा। हालांकि, अमेरिका समेत तीनों देशों ने साफ किया है कि ऑस्ट्रेलिया परमाणु क्षमता वाली जो पनडुब्बियां बनाएगा उनमें परमाणु हथियार नहीं होंगे, सिर्फ परमाणु रिएक्टर होंगे। हालांकि फ्रांस ने इस समझौते का विरोध किया है, क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया को पनडुब्बियां बेचने के लिए अरबों डॉलर की डील पर बातचीत कर रहा था।
ब्रिटेन ने कहा- भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी
इस समझौते पर संयुक्त बयान जारी करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि हम जो प्रयास शुरू कर रहे हैं, वह भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि ये ऑस्ट्रेलिया, UK और US के बीच एक ऐसी साझेदारी है जिसके तहत हमारी तकनीक, हमारे वैज्ञानिक, हमारे उद्योग और सुरक्षाबल एक सुरक्षित क्षेत्र तैयार करने के लिए काम कर रहे हैं। मॉरिसन ने ये भी कहा कि ये तीनों देशों की बड़ी पहल है।