जानिए उत्तराखंड की लाइफ लाइन के बारे में, चार धाम यात्रा के तीर्थ यात्रियों की खातिर सबसे अच्छी खबर
- 12 हजार करोड़ की है परियोजना
- 889 में से 644 किमी पर शुरू हो गया काम
- 115 बस स्टैंड, 9 ट्रक स्टैंड, प्रत्येक 30 किमी में रिफ्रेशमेंट सेंटर और वॉशरूम
- 122 ब्रिज, 25 हाई फ्लड लेबल ब्रिज, 13 बाईपास
उत्तराखंड में चार धाम को जोड़ने के लिए बनाई जा रही ऑल वेदर रोड परियोजना पहाड़ की लाइफ लाइन बनने जा रही है। इस परियोजना का काम पूरा हो जाने के बाद ना केवल चार धाम यात्रा सुगम होगी बल्कि इससे पहाड़ के गांवों तक पहुंच पाना आसान होगा और पर्यटन गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। चार धाम की सड़कों को 12 माह सफर के लायक बनाने के लिए केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में ऑल वेदर रोड परियोजना बनाने का निर्णय लिया है। 27 दिसंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देहरादून परेड ग्राउंड में इस परियोजना का उद्घाटन किया था। परियोजना के तहत अभी तक344 किमी सड़कों के निर्माण का काम चल रहा है। जबकि अन्य क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण, वन भूमि हस्तांतरण और मुआवजा वितरण की प्रक्रिया चल रही है।
ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत वर्तमान में बन रही 644 किमी सड़क में से 407 किमी सड़क को चौड़ा कर दिया गया है। जबकि इसके तकरीबन आधे हिस्से को तैयार किया जा चुका है। ऑल वेदर रोड को पहाड़ का जनमानस एक उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है। लोगों को उम्मीद है कि इस परियोजना के बन जाने के बाद तीर्थाटन और पर्यटन में इजाफा होगा और इससे पहाड़ के लोगों की आर्थिक स्थिति भी बदलेगी। पहाड़ में पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावना है और इसमें पलायन की समस्या का समाधान भी छुपा हुआ है। ऐसे में ऑल वेदर रोड की तकदीर बदल सकती है।
सिरोबगड़ जैसी बाधाओं का भी समाधान
ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच स्थित सिरोबगड़ में 3 पुल बनाकर समस्या का जड़ से समाधान किया जा रहा है। इसके बाद लोगों को सिरोबगड़ की वज़ह से परेशान नहीं होना पड़ेगा। सिरोबगड़ पिछले कुछ सालों से रुद्रप्रयाग और चमोली के लोगों को परेशान कर रहा है। इससे चार धाम यात्रा भी बार-बार बाधित हो रही थी। यात्रियों को कई घंटे सड़क के किनारे खड़े होकर सड़क खुलने का इंतजार करना पड़ता था। इस समस्या का स्थाई समाधान निकालते हुए सड़कों को दूसरी ओर मोड़ने का निर्णय लिया गया है। इससे गंगा के ऊपर दो खूबसूरत पुल बन जाएंगे और इससे पर्यटन में इजाफा भी होगा। इसके अलावा भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां भी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। इसके अलावा सोन गंगा में बार-बार सड़क बंद ना हो इसके लिए गौरीकुंड हाईवे को 25 मीटर ऊपर उठाया जा रहा है। भूस्खलन से बचने के लिए गुप्तकाशी के आगे 7 किमी एलिवेटर रोड बनाई जा रही है।
यमुनोत्री टनल से होकर पहुंचेंगे यात्री
ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राजमार्ग पर सिल्क्यारा के समीप साढ़े 4 किमी लंबी टनल का काम शुरू हो गया है। 11 100 करोड़ की लागत से तैयार होने वाली है टनल देश की चुनिंदा सुरंग परियोजनाओं में शामिल है। इस चैनल के निर्माण से यमुनोत्री की दूरी 21 किलोमीटर घट जाएगी और यात्री एक घंटा कम समय में ही यमुनोत्री धाम के दर्शन कर पाएंगे। टनल बन जाने के बाद जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से बईकोट की दूरी भी 26 किमी कम होगी।
सुरंग की कुल लंबाई 4.531 किलोमीटर होगी और यह डबल बनाई जा रही है। सिल्कियारा से बड़कोट तक बनने वाली इस टनल के बाद लोगों को राडी टॉप नहीं जाना पड़ेगा। इस टनल के निर्माण से ना केवल चारधाम किन्यात्रा कर रहे यात्रियों को फायदा होगा बल्कि गंगा और यमुना घाटी आपस में जुड़ जाएंगे और इससे स्थानीय किसानों और व्यापारियों को भी फायदा होगा। टनल का निर्माण डीसीएल कर रही है। चार साल में इसका निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 4 साल तक चैनल की मरम्मत का काम भी एनएचआईडीसीएल देखेगी। और यमुनोत्री जाने वाले यात्रियों के लिए चंबा में लगने वाणी जाम से भी निजात मिलेगी। इसके लिए चंबा में भी 6 किमी लंबी टनल बनाई जा रही है। जाने के बाद यात्रियों को जाम से राहत मिलेगी और स्थानीय लोगों को भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
भूस्खलन से नहीं थमेगी रफ्तार
बारिश के मौसम में भूस्खलन से आमतौर पर पहाड़ की रफ्तार थम जाती है। सड़कों के बंद हो जाने के बाद लोगों के लिए सफर बेहद मुश्किल हो जाता है। इसी को देखते हुए ऑल वेदर रोड परियोजना में भूस्खलन संभावित स्थानों पर जिओ सिस्को तकनीकी से पहाड़ियों का उपचार किया जा रहा है। पहाड़ियों का जिओ सिंथेटिक उपचार होने से चार धाम की सड़कों के बंद होने की समस्या खत्म होगी और लोग मुश्किल समय में भी आराम से सफर कर सकेंगे। ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत ऐसे स्थानों का चयन किया गया है जहां बार-बार भूस्खलन की वजह से रोड बंद हो जाती हैं। ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत ऐसे स्थानों और पहाड़ियों का उपचार कर इस समस्या को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत तोता घाटी, साकिनिधार और ताछिलिधार जैसे स्थानों पर पहाड़ियों को ठीक किया जा रहा है। इसके अलावा भूस्खलन संभावित स्थानों पर सड़कों की चौड़ाई भी बढ़ाई जा रही है ताकि मलबा आने की सूरत में भी सड़के वाहनों के निकलने लायक बनी रहे।
भारतमाला परियोजना में 570 किमी सड़कें
भारतमाला परियोजना के तहत राज्य में 13000 करोड़ में 570 किमी सड़कें बनाई जाएंगी। केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद अब इस परियोजना पर काम शुरू होने जा रहा है। भारतमाला परियोजना के तहत केंद्र सरकार ने बैजनाथ थराली कर्णप्रयाग सड़क के लिए दो हजार करोड़, अस्कोट – वसूला – तवांग – मालपा – लिपुलेख सड़क के लिए 12:00 सौ करोड़, बैजनाथ – बागेश्वर – कपकोट – रातापानी – मुनस्यारी – धारखेडा – सेराघाट – जौलजिवी – सड़क के लिए 45 100 करोड़, जोशीमठ – मलारी सड़क के लिए 100 करोड़ मंजूर किए गए हैं।
उत्तराखंड के पर्यटन स्थल चमकेंगे
ऑल वेदर रोड बन जाने से राज्य के पर्यटन स्थल चमकने की भी उम्मीद है। इससे औली टिहरी चोपता त्रियुगीनारायण हर की दून जैसे सुंदर लेकिन दुर्गम स्थानों तक भी पर्यटक को भी पहुंच आसान होगी। यदि बड़ी तादाद में लोग इन पर्यटक स्थलों तक पहुंचते हैं तो इससे स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने के साथ ही राज्य की भी आर्थिक तरक्की होगी। साथ ही युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे और पलायन की समस्या का भी समाधान होगा।
3 घंटे में पूरा होगा टनकपुर से पिथौरागढ़ का सफर
ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत टनकपुर पिथौरागढ़ सड़क के एक बड़े हिस्से पर तेजी से काम चल रहा है। परियोजना को पूरा हो जाने के बाद टनकपुर से पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राज्य मार्ग चंपावत, लोहाघाट, पार गढ़ बाईपास को जोड़ते हुए 160 किमी का होगा। जबकि सड़क की चौड़ाई बढ़ने से सफर भी आसान हो जाएगा। वर्तमान में टनकपुर से पिथौरागढ़ आने में अभी तक 5 घंटे से अधिक का समय लगता है। सड़क चौड़ी और अच्छी बन जाने के बाद यह दूरी 3 घंटे के आसपास समय में पूरी हो जाएगी। इससे स्थानीय लोगों के साथ ही नेपाल से भारत आने वाले लोगों को भी फायदा होगा। साथ निभा डरिया की सड़क होने की वजह से सेना को भी इसका लाभ मिलेगा।
ऑल वेदर रोड से टिहरी झील तक आसान होगी पहुंच
ऑल वेदर रोड बनने से टिहरी झील तक पर्यटकों की पहुंच आसान होगी। उत्तराखंड के नक्शे पर टिहरी झील अभी नहीं है और बहुत अधिक संख्या में पर्यटक अभी यहां नहीं पहुंच रहा है। ऋषिकेश से दूरी और खराब सड़क की वजह से लोग टीहरी जाने से अभी बचते हैं। टिहरी झील पहुंचने में लोगों को अभी 3:00 से 3:30 घंटे तक का समय लग रहा है। लेकिन इस रोड के पूरी तरह तैयार हो जाने के बाद ऋषिकेश से चंबा की दूरी महज एक घंटा रह जाएगी और लोग महज 2 घंटे में ही टिहरी झील पहुंच जाएंगे पूर्णविराम जाने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और आसानी से लोग टिहरी पहुंच सकेंगे इसका टिहरी झील में पर्यटन गतिविधि बढ़ाने में खासा मदद मिलेगी। टिहरी बांध एशिया के बड़े बांधों में शुमार है। बड़ी संख्या में लोग इस बांध और इससे बनी झील को देखना चाहते हैं। लेकिन अभी सड़क खराब होने की वजह से कई लोग यहां आने से कतराते हैं। सड़क की स्थिति अच्छी होने से लोगों की आवाजाही टिहरी झील में बढ़ेगी पूर्णविराम इससे पर्यटन में इजाफा होने के साथ ही युवाओं मौके मिलेंगे और राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
सड़क की स्थिति अच्छी होने से टिहरी झील के आसपास होटल और वेलनेस सेंटर के निर्माण की भी उम्मीद है। राज्य सरकार की ओर से 1 साल पहले आयोजित कराए गए इन्वेस्टर्स समिट के दौरान तकरीबन 40000 करोड के होटल वैलनेस आदि के निवेश प्रस्ताव आए हैं। इन सभी लोगों को टिहरी झील के आसपास रोड कनेक्टिविटी अच्छी होने की उम्मीद है। जैसे ही सड़क अच्छी होगी निवेश को धरातल पर उतारने की भी प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।
सामरिक महत्व की ऑल वेदर रोड परियोजना
ऑल वेदर रोड परियोजना चारधाम राजमार्ग विकास के अलावा सामरिक दृष्टि से बेहद अहम परियोजना है। जानकारों का मानना है कि इससे सेना की चीन सीमा तक पहुंच आसान होगी। चारधाम राजमार्ग का अधिकांश हिस्सा सेना के उपयोग में भी आता है। इन सड़कों की स्थिति में सुधार से इसका सीधा लाभ सेना को मिलना तय है।
ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत बन रहे बड़े-बड़े ट्रक और बस स्टैंड का भी सेना आपात स्थिति में उपयोग कर सकती है। चीन लगातार अपनी सीमाओं को मजबूत सड़क नेटवर्क से जोड़ रहा है। इसी के तहत केंद्र सरकार ने भी चीन सीमा से सटी सड़कों को पहले से अच्छा काटने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा जल्द पूरा होगा आल वेदर रोड का सपना
इस परियोजना पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि “ऑल वेदर रोड परियोजना पर तेज़ी से दिन रात कार्य चल रहा है। वर्ष 2020 तक इस परियोजना को धरातल पर उतारने का लक्ष्य साधा है। ऑल वेदर रोड ना केवल राज्य कि चारधाम यात्रा को सुगम बनाएगी बल्कि यह परियोजना समूचे पहाड़ की लाइफ लाइन बनेगी। इससे पलायन को रोकने, रोजगार बढ़ाने एवं उद्योगों कि स्थापना में भी मदद मिलेगी।”
ऑल वेदर रोड परियोजना के ये हैं फायदे :-
- राज्य की आर्थिकी में सुधार आएगा ।
- चारधाम यात्रा सुगम होगी, तीर्थ यात्रियों की संख्या में इजाफा।
- सड़क दुर्घटनाओं में काफी कमी आएगी।
- वाहनों के फ्युल खर्च में 40 प्रतिशत तक कमी का अनुमान।
- रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।