कोरोना महामारी पर भारी लखनऊ के पत्रकार नेताओं की राजनीति का वायरस
पत्रकार नवेद शिकोह कि कलम से
कोरोना वायरस की महामारी से लड़ने के लिये देश दुनिया की मीडिया अपने दायित्वों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका बखूबी निभा रहा है। लेकिन लखनऊ के चंद पत्रकार नेतागीरी के नशे में इस क़द्र डूबे हैं कि वो वायरस से बचने की जागरूकता फैलाना तो दूर वो ख़ुद जागरूक नहीं हैं। उ.प्र. राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति का चुनाव होना है, जिसके कारण नेतागीरी करने वाले भीड़ इकट्ठा करके अपना-अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। मिलन समारोह मना रहे हैं। ग्रुप बनाकर और एक दूसरे के करीब आकर फोटो खिचवाकर सोशल मीडिया ऐसी तस्वीरें जारी कर रहे हैं।
ज्ञातव्य हो कि दुनियाभर मे क़हर मचा रही कोरोना वायरस की महामारी पर क़ाबू पाने की चुनौती के लिए मुश्तैद दो क्षेत्रों का अहम रोल है। मेडिकल और पत्रकारिता। डाक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ इलाज के लिए कमर कसे है। और पत्रकारिता मुख्य इलाज के लिए डटे हैं। यहां मुख्य इलाज का आशय है जागरूकता के लिए प्रेरित करना। कोरोना वायरस को ना फैलने देना ही इस बीमारी पर काबू करने का रास्ता है। मेडिकल एक्सपर्ट की राय मीडिया आम जनो तक फैला रहा है। किस तरह दूरी बना के रखी जाये। भीड़ ना लगायें। हाथ साफ करते रहें। ग्रुप में ना रहें…
ऐसी जानकारियां और सूचनाएं पत्रकार आम जनता तक पंहुचा रहे हैं।
लेकिन हमारे लखनऊ के कुछ पत्रकार शायद इन बातों से बेखबर हैं। इस कठिन समय में अपना दायित्व निभाने के बजाय चुनावी राजनीति कर रहे हैं।शक्ति प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं।
गेट टू गेदर और मिलन समारोह में भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं। झुंड बना कर बार-बार सोशल.मीडिया पर फोटो जारी कर रहे हैं।