50-50 कदम पर अखिलेश के काम !!
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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 5 अगस्त को साइकिल रैली निकाली समाजवादी पार्टी के कार्यालय से निकलकर जनेश्वर मिश्रा पार्क पहुंची साइकिल रैली में एक चीज काफी अलग थी मगर उसके पहले आप हमें बता दें अखिलेश यादव ने लगभग 7 किलोमीटर साइकिल चलाया और इस साइकिल में सबसे ज्यादा अखिलेश यादव के साथ बड़े पैमाने पर युवाओं की भागीदारी दिखाई दी
अगर भीड़ की बात करें तो अखिलेश की लखनऊ की रैली में लगभग 40000 से ज्यादा लोगों ने शिरकत किया और यह लोग ज्यादातर लखनऊ के थे और उसमें सबसे ज्यादा प्रतिशत में युवा थे।
वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना था कि अगर अखिलेश पूरे उत्तर प्रदेश में साइकिल रैली नहीं कराते और सबको राजधानी लखनऊ बुला लेते तो वह संख्या कई लाख हो सकती थी और बड़े पैमाने पर लखनऊ जाम हो सकता मगर सिर्फ लखनऊ के लोग इतने बड़े पैमाने पर साइकिल रैली में जुटे हैं तो यह अपने आपने बड़ी बात है क्योंकि 75 जनपदों में अखिलेश यादव ने सभी नेताओं से या कह दिया था कि सभी लोग अपने क्षेत्र में साइकिल रैली निकालें
अखिलेश यादव की साइकिल जब समाजवादी पार्टी दफ्तर से निकली और लोहिया पथ पर पहुंची तो आपको बता दें कि यह लोहिया पथ भी समाजवादी पार्टी के द्वारा बनवाया गया था लोहिया पथ से अखिलेश की साइकिल 1090 चौराहे पर पहुंची अखिलेश सरकार में महिला सुरक्षा के लिए 1090 महिला हेल्पलाइन अखिलेश यादव ने शुरू कराई थी, 1090 चौराहा से अखिलेश की साइकिल गोमती नदी के पुल पर पहुंची पुल के नीचे रिवर फ्रंट जो अखिलेश सरकार ने बनाया गया और जिस फ्लाईओवर से अखिलेश की साइकिल गुजरी उसका निर्माण भी समाजवादी पार्टी की सरकार में हुआ, अखिलेश की साइकिल जब जयप्रकाश नारायण कन्वेंशन सेंटर पहुंची तो वह कन्वेंशन सेंटर भी अखिलेश यादव ने ही बनवाया था और उसके बाद अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट लखनऊ मेट्रो के दफ्तर के बाहर से होते हुए सिरोज कैफे और लोहिया पार्क, अखिलेश की साइकिल पहुंची आपको बता दें कि सिरोज कैफे वह कैफे हैं जहां पर एसिड पीड़ित महिलाओं को रोजगार दिया जाता है और इसकी भी शुरुआत अखिलेश यादव ने किया था और वही लोहिया पार्क भी समाजवादी पार्टी की सरकार में बनाया गया है जिसके बाद अखिलेश की साइकिल इन तमाम जगहों से होते हुए जनेश्वर मिश्रा पार्क पहुंची वह जनेश्वर मिश्रा पार्क जो आज एशिया का सबसे बड़ा पार्क है।
इस साइकिल रैली को देखने के बाद आप यह जरूर कह सकते हैं कि अखिलेश के रास्ते में लगभग 50 कदम पर अखिलेश के किए गए काम दिखाई दे रहे थे जो कि किसी और सरकार के मुकाबले काफी ज्यादा है और शायद इस रैली के द्वारा अखिलेश यह संदेश भी देना चाह रहे थे कि जहां वह काम करते हैं वही वह जनता के मुद्दों को लेकर सड़क पर ही उतरते हैं फिलहाल जनता अखिलेश के इस मैसेज को कितना समझ पाती है यह तो चुनाव का नतीजा बताएगा।