Mahila Adalat में Akhilesh Yadav का बयान – “इतना कुछ होने के बाद भी अरविंद केजरीवाल का हौसला कम नहीं हुआ”
Mahila Adalat में अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तारीफ की। इस कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने उनकी अनगिनत मुश्किलों के बावजूद संघर्ष की मिसाल पेश की
Mahila Adalat में अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तारीफ की। इस कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने उनकी अनगिनत मुश्किलों के बावजूद संघर्ष की मिसाल पेश की और कहा, “इतना कुछ होने के बाद भी अरविंद केजरीवाल जी का हौसला जरा भी कम नहीं हुआ है। मुझे पूरा भरोसा है कि दिल्ली की माताएं अपने लाल अरविंद केजरीवाल को सम्मान दिलायेंगी।”
आखिरकार, यह बयान उस समय आया जब दिल्ली में महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा हो रही थी, और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व की सराहना की जा रही थी। अखिलेश यादव का यह बयान न केवल अरविंद केजरीवाल के लिए समर्थन का प्रतीक था, बल्कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सियासी जंग में दोनों नेताओं के बीच एक साझेदारी का संकेत भी था।
अरविंद केजरीवाल के लिए अखिलेश यादव का समर्थन
अखिलेश यादव ने इस दौरान अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार के Mahila Adalat , महिला सुरक्षा उपायों की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि केजरीवाल का हौसला कमजोर नहीं हुआ है, बल्कि वे निरंतर लोगों के लिए काम कर रहे हैं। इस बयान का सीधा संदेश यह था कि सभी राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, महिला सुरक्षा और अधिकारों के लिए इन दोनों नेताओं के विचार समान हैं।
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि दिल्ली की माताएं अरविंद केजरीवाल को उनका सम्मान देंगी और उन्हें यह समर्थन मिलेगा। उनका यह बयान राजनीतिक गठबंधन की संभावनाओं का संकेत दे रहा था, जिसमें दोनों नेताओं की तरफ से एकजुटता की बात की जा रही थी।
महिला सुरक्षा के मुद्दे पर दोनों नेताओं का जोर
अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल दोनों ही महिला सुरक्षा के मामलों पर जोर देते रहे हैं। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर केजरीवाल सरकार की कई योजनाएं लागू की गई हैं। इस कार्यक्रम के दौरान, अखिलेश यादव ने महिला सुरक्षा के लिए सरकार की योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर सरकारों को गंभीरता से काम करना चाहिए।
“PM मोदी ने हमें माल बोला, मुझे अच्छा नहीं लगा – Sulata Dev”
Mahila Adalat , इस तारीफ के बाद, यह साफ हो गया कि राजनीति में प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद, दोनों नेताओं के बीच एक सहयोग की भावना हो सकती है, खासकर उन मुद्दों पर जो जनता के हित में हैं। हालांकि यह भी देखा जाएगा कि भविष्य में दोनों पार्टियां इस समर्थन को किस दिशा में ले जाती हैं।