‘संविधान हत्या दिवस’ पर अखिलेश यादव का पलटवार, BJP को गिनाए 15 ‘काले दिवस’, पूछा- कौन सी तिथि चुनी जाए?
केंद्र की मोदी सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। इस घोषणा के बाद विपक्षी नेता बीजेपी पर हमलावर हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर बीजेपी को कटघरे में खड़ा करते हुए 15 दिनों की गिनती गिनवाई है। अखिलेश यादव ने एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने पूछा कि बीजेपी अपने 'काले दिनों' के लिए कौन सी तारीख चुनेगी। उन्होंने लिखा, "30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ व ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी।" अखिलेश यादव का बयान: भाजपा बताए कि: मणिपुर में नारी के मान-अपमान हत्या दिवस हाथरस की बेटी हत्या दिवस लखीमपुर में किसान हत्या दिवस कानपुर देहात में माँ-बेटी हत्या दिवस तीन काले क़ानूनों से कृषि हत्या दिवस पेपर लीक करके हुए परीक्षा प्रणाली हत्या दिवस अग्निवीर से हुए सामान्य सैन्य भर्ती हत्या दिवस बेरोज़गारी से हुए युवा सपनों के हत्या दिवस बढ़ती महंगाई से हुए आम परिवारों के भविष्य के हत्या दिवस नोटबंदी व जीएसटी लागू करने से हुए व्यापार हत्या दिवस यश भारती जैसे पुरस्कार बंद करने से हुए हुनर-सम्मान हत्या दिवस जनसंख्या में आनुपातिक प्रतिनिधित्व न देकर सामाजिक न्याय का हत्या दिवस सरकारी नौकरी के अवसर ख़त्म करके आरक्षण के हत्या दिवस पुरानी पेंशन के हत्या दिवस संदेहास्पद हो गये ईवीएम न हटाकर बैलेट पेपर हत्या दिवस अखिलेश यादव ने पूछा, "इनमें से कौन सी तिथि चुनी जाए भाजपा राज में आए अनेक काले दिनों के लिए?" केंद्र सरकार की अधिसूचना में लिखा गया है, "25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी, उस समय की सरकार ने सत्ता का घोर दुरुपयोग किया था और भारत के लोगों पर ज्यादतियां और अत्याचार किए थे। भारत के लोगों को देश के संविधान और भारत के मजबूत लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है।" इस घटनाक्रम ने राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें हर पार्टी अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश कर रही है।
केंद्र की मोदी सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। इस घोषणा के बाद विपक्षी नेता बीजेपी पर हमलावर हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर बीजेपी को कटघरे में खड़ा करते हुए 15 दिनों की गिनती गिनवाई है।
अखिलेश यादव ने एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने पूछा कि बीजेपी अपने ‘काले दिनों’ के लिए कौन सी तारीख चुनेगी। उन्होंने लिखा, “30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ व ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी।”
अखिलेश यादव का बयान: भाजपा बताए कि:
- मणिपुर में नारी के मान-अपमान हत्या दिवस
- हाथरस की बेटी हत्या दिवस
- लखीमपुर में किसान हत्या दिवस
- कानपुर देहात में माँ-बेटी हत्या दिवस
- तीन काले क़ानूनों से कृषि हत्या दिवस
- पेपर लीक करके हुए परीक्षा प्रणाली हत्या दिवस
- अग्निवीर से हुए सामान्य सैन्य भर्ती हत्या दिवस
- बेरोज़गारी से हुए युवा सपनों के हत्या दिवस
- बढ़ती महंगाई से हुए आम परिवारों के भविष्य के हत्या दिवस
- नोटबंदी व जीएसटी लागू करने से हुए व्यापार हत्या दिवस
- यश भारती जैसे पुरस्कार बंद करने से हुए हुनर-सम्मान हत्या दिवस
- जनसंख्या में आनुपातिक प्रतिनिधित्व न देकर सामाजिक न्याय का हत्या दिवस
- सरकारी नौकरी के अवसर ख़त्म करके आरक्षण के हत्या दिवस
- पुरानी पेंशन के हत्या दिवस
- संदेहास्पद हो गये ईवीएम न हटाकर बैलेट पेपर हत्या दिवस
अखिलेश यादव ने पूछा, “इनमें से कौन सी तिथि चुनी जाए भाजपा राज में आए अनेक काले दिनों के लिए?”
केंद्र सरकार की अधिसूचना में लिखा गया है, “25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी, उस समय की सरकार ने सत्ता का घोर दुरुपयोग किया था और भारत के लोगों पर ज्यादतियां और अत्याचार किए थे। भारत के लोगों को देश के संविधान और भारत के मजबूत लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है।”
इस घटनाक्रम ने राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें हर पार्टी अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश कर रही है।