अखिलेश यादव ने किया तंज, भाजपा के तीन P का बताया अर्थ, जानिए क्या कहा
भारतीय जनता पार्टी के शासन में तीन P का अर्थ "पाखंड, प्रताड़ना और प्राणधातक"
लखनऊ: यूपी में होने वाले चुनाव को लेकर तैयारिया जोरो पर है। आए दिन पार्टिया रैलिया कर रही है। इसी कड़ी में वार- प्रतिवार का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 3 P वाले बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दिया है। उन्होंने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी के शासन में तीन P का अर्थ “पाखंड, प्रताड़ना और प्राणधातक” हैं।”
समाजवादी पार्टी की सरकार के तहत “3 P का अर्थ
यूपी के उरई में ‘जन विश्वास यात्रा’ की जनसभा को संबोधित करते हुए, अमित शाह ने सपा और बहुजन समाज पार्टी को सबसे जातिवादी दल का नाम दिया और कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार के तहत “3 P है जिसका अर्थ है परिवारवाद, पक्षपाथ और पलायन थे।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 3 P की राजनीति खत्म हो गई है और विकास की राजनीति शुरू हो गई है। शाह ने आगे कहा कि- “अखिलेश बाबू अभी बहुत गुस्से में हैं क्योंकि मोदी सरकार ने तीन तलाक को खत्म कर दिया। अखिलेश बाबू विरोध कर रहे हैं?”
उत्तर प्रदेश में “बुआ-बबुआ” पर किया तंज
विपक्ष की आलोचना करते हुए और उन्हें ‘जातिवादी’ और ‘पारिवारिक’ दल करार देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में “बुआ-बबुआ” की पिछली सरकारें विकास नहीं ला सकीं।”बुआ और बबुआ ने उत्तर प्रदेश में सरकारें चलाईं। क्या उन्होंने कोई विकास किया? ये जातिवादी पार्टियां और पारिवारिक पार्टियां हैं। अखिलेश यादव के पांच साल के शासन के दौरान 700 दंगे हुए थे। पहले, कानून व्यवस्था की स्थिति इतनी खराब थी कि लोग अपनी बेटियों को स्कूल और कॉलेज भेजने से डरते थे।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि योगी सरकार ने 86 लाख किसानों का कर्ज माफ किया, केन बेतवा नदी परियोजना को दोबारा शुरू किया, पांच साल में पांच एक्सप्रेस-वे बनाए। उन्होंने कहा, “70 वर्षों में केवल 12 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन पिछले पांच वर्षों में, हमने 30 मेडिकल कॉलेज बनाए हैं। पहले 1,900 सीटें थीं, अब यहां 3,800 सीटें है।”उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं। 2017 के चुनावों में, भाजपा को 403 सदस्यीय सदन में 312 सीटें मिली थीं, जबकि सपा को 47, बसपा को 19 और कांग्रेस को 7 सीटें मिली थीं। बाकी सीटों पर अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों ने कब्जा जमाया था।