अखिलेश यादव ने योगी सरकार को गरीब विरोधी बताकर मांगा त्यागपत्र, 3 साल तक श्रमिक कानून निलंबित करने को बताया अमानवीय
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने श्रमिकों पर बड़ा फैसला लिया है। योगी सरकार ने अध्यादेश को पारित कर अगले 3 सालों के लिए प्रदेश में श्रमिक कानूनों को निलंबित करने का फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को तेजी देने और कंपनियों को लुभाने के मकसद से योगी सरकार ने यह बड़ा फैसला किया है।
योगी सरकार का मानना है कि इसके जरिए कोरोनावायरस के संकट के चलते सूबे में आर्थिक गतिविधियों पर जो विपरीत प्रभाव पड़ा है उससे निपटने में मदद मिल सकेगी। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में ‘उत्तर प्रदेश में कुछ श्रम कानूनों से अस्थायी छूट का अध्यादेश, 2020’ को पारित किया गया। अब इस अध्यादेश को मंजूरी के लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष भेजा गया है। हालांकि इस मामले पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आपत्ति जताई है।
उप्र की भाजपा सरकार ने एक अध्यादेश के द्वारा मज़दूरों को शोषण से बचानेवाले ‘श्रम-क़ानून’ के अधिकांश प्रावधानों को 3 साल के लिए स्थगित कर दिया है. ये बेहद आपत्तिजनक व अमानवीय है।
श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली ग़रीब विरोधी भाजपा सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 8, 2020
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि “उप्र की भाजपा सरकार ने एक अध्यादेश के द्वारा मज़दूरों को शोषण से बचानेवाले ‘श्रम-क़ानून’ के अधिकांश प्रावधानों को 3 साल के लिए स्थगित कर दिया है. ये बेहद आपत्तिजनक व अमानवीय है।”
उन्होंने आगे लिखा है कि “श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली ग़रीब विरोधी भाजपा सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए।”