बुलडोजर पर अखिलेश-मायावती ने मिलाए सुर, मिलकर टूट पड़े योगी पर

कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि किसी का घर सिर्फ इस लिए नहीं गिराया जा सकता है कि वो आरोपी है।

देश में बुलडोजर न्याय मामले पर सुप्रीमकोर्ट ने सरकार को फटकार लगा कर बुलडोजर संस्कृति पर बड़ा सवाल उठा दिया है। इस सवाल से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कटघरे में खड़ी नगर आ रही है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि किसी का घर सिर्फ इस लिए नहीं गिराया जा सकता है कि वो आरोपी है। अदालत के इन शब्दों पर गौर कीजिए तो कहीं न कहीं योगी दोषी नहर आते हैं। इस मामले के सामने आते ही अखिले और मायावती के सुर एक हो गए हैं। दोनों नेताओं ने मिलकर योगी सरकार को घेरा है।

-किन किन के घरों पर चल चुका है बुलडोजर-
योगी सरकार की बुलडोजर कार्रवाईयों पर नजर डालें तो दिखेगा कि साल 2020 में सबसे पहले विकास दूबे के घर को बुलडोजर से जमीदोज किया गया था। उत्तर प्रदेश में ये बुलडोजर संस्कृति की शुरूआत थी। इसके बाद अयोध्या में सपा नेता मोइन खान सामुहिक रेप के आरोपी थे। योगी सरकार ने उनकी गिरफ्तारी को बाद अयोध्या स्थित उनके शापिंग माल पर बुल्डोजर चलाया था। ऐसे ही कन्नौज में नाबालिग से रेप के आपोपी नवाब सिंह यादव के रिश्तेदार के नाम से बने कोल्ड स्टोरेज पर भी बुल्डोजर चला दिया था। पिछले साल अप्रैल के महीने में अतीक अहमद की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया गया। यही हश्र मुख्तार अंसारी का भी हुआ। उनके कब्जे वाली करीब 300 करोड़ की संपत्ति पर भी बुलडोजर चलाया गया था।
-जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी याचिका-
आपको बता दें कि मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बुलडोजर संस्कृति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन ने सुनवाई करते हुए योगी सरकार के बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाए। जस्टिस गवई ने कहा कि सिर्फ इसलिए घर कैसे गिराया जा सकता है कि वो आरोपी है। अगर कोई दोषी भी है तो भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हम अखिल भारतीय स्तर पर इस मामले में दिशा निर्देश जारी करेंगे।
इस बात से अब इनकार नहीं किया जा सकता है कि शीर्ष अदालत ने एक तरह से योगी सरकार को दोषी करार दे दिया है। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बुलडोजर संस्कृति का अंत हो जाएगा।
अखिलेश यादव और मायावती ने मिलाए सुर-
बुलडोजर संस्कृति पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का विपक्षी दलों से दिल खोल कर स्वागत किया है। इस मामले पर अखिलेश और मायावती के सुर एक हो गए हैं। सपा प्रमुक अखिलेश यादव ने कहा है कि न्याय हुआ है। वहीं बसपा प्रमुख मायावती सोशल मीडिया के माध्यम से कहा है कि आपराधिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई कानून के मुताबिक होनी चाहिए। इनके अपराध की सजा इनके रिश्तेदारों और करीबियों को नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने कानून द्वारा कानून का राज स्थापित करके दिखाया था।

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