पूर्वांचल में अखिलेश बढ़ा रहे बीजेपी की टेंशन, जानिए किसे मिलेगा ब्राह्मणों का साथ
बसपा व भाजपा ब्राह्मण वोट बैंक को लुभाने में जुटे, जानिए किसे मिलेगा साथ
नई दिल्ली: यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासी दल ब्राह्मण वोटरों पर दांव लगाने में जुट गए हैं। क्या समाजवादी पार्टी, क्या बसपा और क्या बीजेपी.. सभी पार्टियां ब्राह्मण वोट बैंक को लुभाने में लग गयी हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भगवान परशुराम की मूर्ति लगवा रहे हैं, तो बीएसपी सुप्रीमो मायावती ब्राह्मण सम्मेलन कर रही हैं।
पूर्वांचल में बढ़ेगी बीजेपी की हालत खराब
यूपी की कुर्सी पर काबिज होने के लिए मायावती को 14 साल बाद फिर से ब्राह्मणों की याद आई है। तो अखिलेश यादव भी ब्राह्मणों का वोट पाने के लिए हर रोज नया दांव खेल रहे हैं। अब पूर्वांचल की सियासत में ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे बसपा से छोड़कर सपा में शामिल होने जा रहे हैं। यानि विनय शंकर तिवारी और कुशल तिवारी समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे। विनय शंकर तिवारी की मानें तो ब्राह्मण समाज योगी सरकार से नाराज चल रहा है।विधायक विनय शंकर तिवारी ने हाल ही में कहा था कि ‘एक वर्ग विशेष के अधिकारी ही सरकार में रखे जा रहे हैं. ब्राह्मणों के ऊपर लगातार अत्याचार हो रहा है इस सरकार में। आज की तारीख में ब्राह्मण सपा को बेहतर विकल्प मान रहा है। मैंने समाज के लोगों से बातचीत कर सपा में शामिल होने का फ़ैसला लिया है।
ब्राह्मण और ठाकुर के बीच सियासी जंग
पूर्वांचल की सियासत में ब्राह्मण और ठाकुर के बीच सियासी जंग से सभी वाकिफ हैं। विधानसभा चुनाव से पहले हरिशंकर तिवारी के बेटों का समाजवादी पार्टी में एंट्री से पूर्वांचल के सियासी समीकरण बदल सकते हैं और साथ ही बीएसपी ही नहीं बल्कि बीजेपी की ब्राह्मण के लिए भी पूर्वांचल के इलाके में सियासी चुनौती खड़ी हो सकती है। हरिशंकर तिवारी के बेटों के समाजवादी पार्टी में शामिल होने से अखिलेश यादव को पूर्वांचल में बड़ा ब्राह्मण चेहरा मिल सकता है।
यूपी की राजनीति में ब्राह्मणों का वर्चस्व हमेशा से रहा है।आबादी के लिहाज से राज्य में लगभग 13% ब्राह्मण हैं। कई विधानसभा सीटों पर तो 20% से ज्यादा वोटर्स ब्राह्मण हैं। ऐसे में हर पार्टी की नजर इस वोट बैंक पर टिकी है। इस वक्त बीजेपी ने अखिलेश यादव के जिन्ना वाले बयान को लेकर लगातार तंज कसना और उन्हें घेरना मकसद बना लिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ भी ब्राह्मण वोट बैंक को मनाने में जी जान से जुटे हैं। अबकी बार ब्राह्मणों का आर्शीवाद किसे मिलता है ये देखने वाली बात होगी।