पंजशीर का ‘शेर’ बोला- अभी हम जिंदा हैं, कभी भी लौट सकते हैं तालिबान विरोधी हजारों लड़ाके
अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने वाले कमांडर अहमद मसूद के चाचा ने मंगलवार को कहा कि तालिबान विरोधी हजारों लड़ाके पंजशीर घाटी में कभी भी लौट सकते हैं। उन्होंने इन लड़ाकों के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन की अपील की।
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण का दावा करने और पंजशीर घाटी में प्रतिरोध बलों के खिलाफ लड़ाई जीतने की तालिबान की घोषणा के एक दिन बाद अहमद वली मसूद ने स्विट्जरलैंड में यह ऐलान किया है।
मसूद ने जिनेवा में एक संगोष्ठी में कहा, ‘घाटी में अभी भी हमारे पास हजारों लड़ाके हैं, और वे किसी भी समय वापस आ सकते हैं और आप उन्हें देख रहे होंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हां, हम घायल हुए हैं और हम वास्तव में घायल हुए हैं, लेकिन हम मरे नहीं हैं, हम अब भी जीवित हैं।’
मसूद ने संगोष्ठी में कहा, ‘पंजशीर केवल प्रतिरोध नहीं है, (यह) एक मुद्दा है, एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है। हम अपने अधिकार के लिए, स्वतंत्रता के लिए, लोकतंत्र के लिए, मानवाधिकारों के लिए विरोध कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘शायद यह आखिरी मौका है जिसे हम अफगानिस्तान के अंदर आतंकवाद से लड़ने के लिए देख सकते हैं। इसलिए हमें प्रतिरोध नहीं खोना चाहिए।’
मसूद सोवियत-विरोधी और तालिबान-विरोधी कमांडर रहे दिवंगत अहमद शाह मसूद के भाई हैं। अहमद शाह मसूद की 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए हमलों से कुछ दिन पहले अल-कायदा द्वारा हत्या कर दी गई थी। शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद पंजशीर घाटी में तालिबान के प्रतिरोध का नेतृत्व कर रहे हैं।