कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में सहयोग के लिए भारत व फिजी के बीच हुआ समझौता
नयी दिल्ली, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और फिजी के कृषि, जलमार्ग और पर्यावरण मंत्री डॉ. महेंद्र रेड्डी के बीच कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में सहयोग के लिए मंगलवार को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस अवसर पर तोमर ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से भारत दुनिया को सदैव सहयोग करता रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के दौर में इसी भावना से सभी देशों को मदद पहुंचाई है। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रारंभ से कृषि और गांवों की तरक्की पर फोकस किया है। ग्रामीण और कृषि क्षेत्र समृद्ध होगा तो देश समृद्ध होगा और ऐसा होने पर दुनिया को सहयोग करने की अपनी भूमिका को हम और अच्छी तरह निभा सकेंगे। इसी दिशा में एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, 10 हजार किसान उत्पादक समूह (एफपीओ) की स्कीम जैसे अनेक ठोस कदम देश में उठाए गए हैं। महामारी के दौर में भी किसानों को दो लाख करोड़ रुपये के ऋण दिए गए हैं और कृषि के क्षेत्र ने अपनी प्रासंगिकता को सिद्ध किया है । पहले से अधिक उत्पादन व उपार्जन हुआ है।
तोमर ने कहा कि भारत और फिजी के सौहाद्रपूर्ण व मित्रवत सम्बन्ध पारस्परिक सम्मान, सहयोग एवं सशक्त सांस्कृतिक तथा जन-संबंधों पर आधारित हैं। प्रधानमंत्री की फिजी की ऐतिहासिक यात्रा और पहले फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन से फिजी तथा व्यापक प्रशांत क्षेत्र के साथ भारत के जुड़ाव को नई गति मिली है। आज इस एमओयू पर हस्ताक्षर दोनों देशों के बीच बहुआयामी विकास सहयोग को और अधिक मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगा।
तोमर ने कहा कि खाद्य और कृषि का जलवायु परिवर्तन से गहरा संबंध है। दोनों देश इस बारे में वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग कर रहे हैं। कोरोना महामारी के बावजूद हम चक्रवात यास से प्रभावित समुदायों की आजीविका बहाली के लिए, सरकार से अनुदान के रूप में, फिजी द्वारा अनुरोध किए गए 14 किस्मों के फल-सब्जियों के लगभग सात टन बीजों की खेप वितरित करने में सक्षम रहे हैं।
फिजी के मंत्री डॉ. रेड्डी ने एमओयू होने पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि दोनों देश अपने पारस्परिक संबंधों को इसी तरह गतिशील रखेंगे। उन्होंने बताया कि एमओयू के तहत, प्रक्रिया निर्धारित करने तथा इसके लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सहयोग के कार्यक्रमों की योजना बनाने और अनुशंसा करने के लिए एक संयुक्त कार्यकारी समूह की स्थापना की जाएगी। यह एमओयू पांच साल के लिए किया गया है। एमओयू में डेयरी उद्योग, चावल , नारियल , बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विकास, जड़ फसल विविधीकरण, जल संसाधन प्रबंधन, कृषि यंत्रीकरण, कृषि अनुसंधान, पशुपालन, कीट और रोग, मूल्य संवर्धन और विपणन, फसलोपरान्त तथा मिलिंग, प्रजनन एवं कृषि विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग का प्रावधान किया गया है। दोनों देशों के कृषि मंत्रालय अपने पक्षों की कार्यकारी एजेंसी होगी।