भीलवाड़ा के बाद अब ऑक्सीजन वेस्टेज रोकने का ‘बीकानेर मॉडल’ देश भर में होगा लागू

जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बीकानेर की जिस ‘ऑक्सीजन मित्र योजना’ की सराहना की थी, वह अब ‘बीकानेर मॉडल’ बनकर देशभर में लागू होगा. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को चिठ्ठी लिखकर बीकानेर मॉडल को लागू करने का सुझाव दिया है. इससे देशभर में आक्सीजन वेस्टेज को रोकने में मदद मिलेगी. कोरोनाकाल में ‘भीलवाड़ा मॉडल’ के बाद यह प्रदेश का दूसरा मॉडल होगा, जो राष्ट्रीय स्तर पर लागू होगा. पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने देश के कुछ कलेक्टरों से वीडियो कांफ्रेंसिंग पर बात की थी. इसमें कोरोनाकाल में कलेक्टरों द्वारा किए जा रहे प्रयासों और नवाचारों पर चर्चा हुई.

इस कांफ्रेंसिंग के दौरान बीकानेर कलेक्टर नमित मेहता की ‘ऑक्सीजन मित्र योजना’ प्रधानमंत्री को अच्छी लगी. उन्होंने सात मिनट तक मेहता से बातचीत कर योजना को समझा और फिर उनकी पीठ थपथपाई थी. अब केंद्र सरकार ने इसे सभी राज्यों में लागू करने को कहा है.

ऑक्सीजन की किल्लत के बीच ही वेस्टेज

दरअसल, अप्रैल माह में कलेक्टर नमित मेहता ने कोविड अस्पताल का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने देखा कि मरीजों के खाना खाते समय, शौच आदि के लिए वाशरूम जाते समय भी ऑक्सीजन का फ्लो बंद नहीं किया जा रहा. इससे कमो​बेश सभी मरीजों के पास ​लगे ऑक्सीजन सिलेंडर से ऑक्सीजन का वेस्टेज हो रहा है. उस समय प्रदेश में ऑक्सीजन की बहुत किल्लत थी. इसके अभाव में कोविड मरीजों की मौत तक हो रही थी. ऐसे में ऑक्सीजन बचाने की योजना अमल में आई. ऑक्सीजन को बचाने के लिए बना ‘बीकानेर मॉडल’

ऑक्सीजन के इस अपव्यय को रोकने के लिए योजना बनाई. इसके तहत पीबीएम अस्पताल में 100 नर्सिंग स्टूडेंट को ऑक्सीजन मित्र नियुक्त किया गया. आठ-आठ घंटे की पारियों में ‘ऑक्सीजन मित्रों’ को ऑक्सीजन फ्लो की मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. ऑक्सीजन मित्र बेड टू बैड आक्सीजन के फ्लो को मेंटेन करते. इस कांसेप्ट के लागू होने से अस्पताल में ऑक्सीजन की खपत 800 से 600 सिलेंडर पर आ गई.

कोरोना संक्रमण कम करने के लिए भीलवाड़ा मॉडल

पिछले साल भी कोरोना की पहली लहर में प्रदेश के भीलवाड़ा मॉडल को देशभर में प्रशंसा मिली थी. भीलवाड़ा में 20 मार्च 2020 को छह कोरोना रोगी मिले थे. इसके बाद शहर में सख्त लॉकडाउन लगाकर संक्रमण को रोका गया. जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया। जो कोरोना संक्रमित मरीज मिले उनके संपर्क में आए सभी लोगों को चिह्नित कर आइसोलेशन सेंटर में रखा गया. बीस दिन में रोगी ठीक हो गए. इसे भीलवाड़ा मॉडल के नाम से देश के कई हिस्सों में लागू किया गया.

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