आखिर PM मोदी ने क्यों वैक्सीन के तीसरे शॉट को ‘बूस्टर डोज’ करार नहीं दिया
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वास्थ्य देखभाल और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अन्य बीमारियों का इलाज करा रहे वरिष्ठों के लिए “एहतियाती खुराक” और 15-18 वर्ष की आयु के किशोरों के लिए टीकाकरण की घोषणा लोगों के विश्वास को मजबूत करेगी और किसी भी तरह की दहशत को रोकेगी. सरकारी सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी.
भारत बायोटेक को 12 से 18 साल के बच्चों को कोवैक्सिन देने के लिए आपातकाल में इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद एक सरकारी सूत्र ने कहा, “15-18 आयु वर्ग के युवाओं को टीका मिलने के साथ ही इससे शिक्षा में भी मदद मिलेगी.” दरअसल, स्कूल-कॉलेज खुलने के साथ ही बच्चों का टीकाकरण शुरू करने की मांग उठने लगी थी.
दूसरे देशों में तीसरी खुराक को ‘बूस्टर डोज’ कहा जाता है
एक सूत्र ने कहा कि भारत ने एक अलग रास्ता अपनाया, जिसमें प्रधानमंत्री ने फ्रंटलाइन वर्कर्स, हेल्थकेयर वर्कर्स और अन्य बीमारी वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए “एहतियाती खुराक” की घोषणा की. पीएम ने इसे “बूस्टर डोज” नहीं कहा जैसा कि तीसरी खुराक को दुनिया भर में कहा जाता है. इन सभी लोगों को लगभग 5-6 महीने पहले वैक्सीन की दूसरी खुराक मिल गई थी और इस बात की चिंता थी कि अब अंतराल को देखते हुए उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है.
सूत्र ने कहा, “इससे स्वास्थ्य सेवा और फ्रंटलाइन वर्कर्स का विश्वास मजबूत होगा. पीएम ने ओमिक्रॉन पर भी जनता को आगाह किया है, उन्हें बताया है कि घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन उन्हें सभी सावधानियों का पालन करना चाहिए.”
‘लोगों की चिंता को कम करने की कोशिश’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान लोगों को देश में मौजूदा अस्पताल के बिस्तरों और ऑक्सीजन संयंत्रों के संदर्भ में बुनियादी ढांचे की प्रकृति की व्याख्या करते हुए उन्हें स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे से भी अवगत कराया, जिसका उद्देश्य भारत में ओमिक्रॉन के फैलने की स्थिति में कुछ लोगों की चिंताओं को कम करना है, जैसा कि विश्व स्तर पर है.