17 साल बाद नक्सली हमले के 40 आरोपी साक्ष्यों के आभाव में बरी, जानें मामला
चंदौली. जिले के पहले नक्सली हमले के मामले (Naxal Attack Case) में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए नामजद सभी 40 आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया. 20 नवंबर 2004 को चंदौली (Chandauli) जिले के नौगढ़ इलाके के हिनौत घाट गांव के समीप नक्सलियों ने लैंडमाइंस के सहारे पीएसी के जवानों को ले जा रही ट्रक को उड़ा दिया था. इस हमले में 15 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. 17 साल बाद अपर जिला जज प्रथम ने साक्ष्यों के आभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया. आरोपियों की तरफ से अधिवक्ता राकेश रत्न सिंह, अधिवक्ता राहुल सिंह और अधिवक्ता गौरव ने पैरवी की.
गौरतलब है कि 18 नवंबर 2004 को नक्सलियों ने मझगांई वन चौकी पर हमला कर दो वनकर्मियों और एक दरोगा को मौत के घाट उतार दिया था. यूपी में नक्सलियों की इस बड़ी घटना को कुचलने के लिए सरकार ने पीएसी के जवानों को भेजा. 20 नवंबर 2004 को जब पीएसी के जवानों को लेकर ट्रक हिनौत घाट गांव के पुलिया से गुजर रही थी, तभी नक्सलियों ने लैंडमाइंस के सहारे विस्फोट कर उसे उड़ा दिया था. इस हमले में 15 जवानों की मौत हुई थी, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे. इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज करते हुए 40 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया था. 17 साल तक चली सुनवाई के बाद अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध नहीं करा सका. जिसके बाद साक्ष्यों के आभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया.
इन्हें किया गया बरी
अपर जिला जज प्रताम की कोर्ट ने अभियुक्त परमेश्वर कोल, अनूप कुमार, बहादुर, गुलाब, लालचंद, राम निहोर, मकसूदन, सुरेंद्र यादव, मुन्ना, छोटू, श्याम सुंदर, मूसा और अजीत उर्फ सलीम, विजयमल, राजेंद्र, रमई पाल, कलियर, मोहम्मद ईसा, भोला पाल, करीमन उर्फ बिहारी, मनोहर, राजू गौड़, नंदू, राधेश्याम, मुन्ना विश्वकर्मा, राम सजीवन कुशवाहा, सूरजमल, नंदलाल, राजकुमार, अशोक कुमार, मुन्नू पाल, बाबूलाल, हरिशंकर, लालब्रत, छोटेलाल, सनी उर्फ सुदामा, आनंदी सिंह सहित अन्य लोगों को मुकदमा अपराध संख्या 51/2004 के अंतर्गत दर्ज किए गए धारा 307, 396, 333, 412 भारतीय दंड संहिता और धारा 3/4 लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम तथा धारा 3 व 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के आरोप में दोषमुक्त कर दिया है.