उच्च न्यायालय के आदेश को भी नहीं मानते राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति
ना तो शो कॉज नोटिस दी गई और ना ही कोई जांच के लिए इंक्वायरी कमेटी का गठन किया
उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में के फुरसतगंज थाना क्षेत्र में एशिया का पहला विमानन विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है । जो राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय के नाम से है। इस विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति अंबर दुबे हैं । जिन्होंने विश्वविद्यालय के कुलसचिव जितेंद्र सिंह को 8 जनवरी 2019 को टर्मिनेट कर दिया था इसके बाद कुलसचिव माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ की शरण में गए जहां पर माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा कुलपति अंबर दुबे के द्वारा कुलसचिव पर लगाए गए सारे आरोपों को निराधार बताते हुए तत्काल प्रभाव से जोइनिंग कराने का आदेश 17 सितंबर 2021 को जारी कर दिया । क्योंकि हाईकोर्ट ने पाया कि कार्यकारी कुलपति के द्वारा नियमों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से कुलसचिव को टर्मिनेट किया गया है। क्योंकि उन्हें ना तो शो कॉज नोटिस दी गई और ना ही कोई जांच के लिए इंक्वायरी कमेटी का गठन किया गया ।
जिससे उन पर लगाए गए आरोपों की जांच करने के बाद दोष सिद्ध होने पर इस तरह का कदम उठाया गया हो । माननीय उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद भी रजिस्ट्रार जितेंद्र सिंह ज्वाइन करने के लिए राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय फुरसतगंज पहुंचे। लेकिन उन्हें ज्वाइन नहीं कराया गया। बल्कि अंबर दुबे के द्वारा उस आदेश के खिलाफ फुल बेंच में एसएलपी दाखिल की गई उसका भी निर्णय 17 दिसंबर 2021 को कुलसचिव जीतेंद्र सिंह के पक्ष में ही आया और कार्यकारी कुलपति इस मुकदमे को भी हार गए। इसके उपरांत रजिस्ट्रार के पद पर जितेंद्र सिंह ज्वाइन करने के लिए फुरसतगंज स्थित राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय बीते 29 दिसंबर की शाम लगभग 4:30 बजे पहुंचे जहां पर उन्हें देखते ही सिक्योरिटी वालों ने विश्वविद्यालय का गेट ही बंद कर दिया। इसके बाद विश्वविद्यालय स्टाफ सहित सिक्योरिटी वालों से काफी देर तक जद्दोजहद होती रही और जबरदस्ती गेट को खुलवाया गया तब वह अंदर प्रवेश किए किसी तरह से अंदर तो वह चले गए लेकिन उन्हें ज्वाइन नहीं कराया गया।
बल्कि सूचना पर पहुंची फुरसतगंज थाने की पुलिस एवं सीओ तिलोई ने नई दिल्ली में बैठे कार्यकारी कुलपति अंबर दुबे से फोन पर बातचीत करते हुए माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में ज्वाइन कराने अथवा लिखित रूप में रिफ्यूजल देने की बात कही। जिस पर उन्होंने 30 दिसंबर की दोपहर तक लिखित आदेश भेजने के लिए कहा । लेकिन दोपहर कौन कहे शाम तक ना तो उनका कोई आदेश आया और ना ही वह आए। जिसके कारण रजिस्ट्रार जितेंद्र सिंह को बैरंग ही वापस लौटना पड़ा । इस मामले में जो हमारे संवाददाता ने दूरभाष पर कार्यकारी कुलपति अंबर दुबे से बात की तो उन्होंने माकूल जवाब नहीं दिया सिर्फ गोलमोल जवाब दिया। उधर हाईकोर्ट के पहले आर्डर (17 सितंबर 2021 ) का अनुपालन न करने पर रजिस्टर जितेंद्र सिंह कोर्ट की अवमानना करने वाले कार्यकारी कुलपति के खिलाफ दोबारा हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे। जिसमें माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा कार्यकारी कुलपति अंबर दूबे को आदेश का अनुपालन ना कराने का दोषी मानते हुए नोटिस भेजा है।