मुजफ्फरनगर: लॉक डाउन में मासूम बनी पालनहार, मजबूरी में चलाना पड़ रहा है ई रिक्शा जिससे चलता है घर
कोरोनावायरस के चलते जहां पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ है। तो वही संपूर्ण देश में लॉक डाउन से कोरोना वायरस कि इस चैन को तोड़ने का एक सार्थक प्रयास भी किया जा रहा है। लेकिन जहा इस लॉक डाउन के चलते आर्थिक रूप से कमजोर मजदूर तबके के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई। तो वही सरकार भी हर संभव प्रयास कर रही है कि मजदूर और गरीब तबके के लोगों के पास हर संभव मदद पहुंचाई जा सके। परंतु कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो अब भुखमरी की कगार पर पहुंच गये है। इसी का जीता जागता नजारा मुजफ्फरनगर के खतौली थाना क्षेत्र में देखने को मिला जहां एक 13 साल की मासूम लड़की अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए ई रिक्शा चलाकर मजदूरी करने को विवश है। मासूम लड़की के परिवार में एक दिव्यांग पिता एक छोटा भाई और पांच बहने हैं। जिसमें यह लड़की सबसे बड़ी है और अब परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए ई रिक्शा चला कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है।
दरअसल मामला खतौली थाना क्षेत्र का है, जहां एक 13 साल की मासूम बच्ची अमरीन अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने और परिवार के भरण-पोषण के लिए ई रिक्शा चलाकर लॉक डाउन में भी मजदूरी करने को विवश है। लॉक डाउन के चलते जब परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी तो संकट की इस घड़ी में परिवार की इस सबसे बड़ी और लाडली बेटी ने आगे बढ़कर जिम्मेदारी संभाली और सुबह 3 घंटे लॉक डाउन में मिलने वाली छूट में ई-रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करने का निर्णय लिया। आपको बता दे की मोहल्ला सदीक नगर में रहने वाले जरीफ़ के परिवार का लॉक डाउन के चलते जब घर का खर्च चलना मुश्किल हो गया तो घर की बड़ी बेटी अमरीन ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए घर का खर्च उठाने का निर्णय लिया और शासन द्वारा लॉक डाउन में मिली सुबह 6:00 से 9:00 के बीच 3 घंटे छूट में ये ई रिक्शा चलाकर घर का खर्च उठा रही है। ई रिक्शा चलाकर अमरीन रुपए कमा कर अपने पिता का सहारा और परिवार का पालन पोषण कर रही है। हर कोई आज इस मासूम के जज्बे को सलाम कर रहा है। और यह कहता नजर आ रहा है कि वाकई में बेटियां बेटों से कम नहीं होती।