नए दौर की एक कड़वी सच्चाई, बदल गया है हर गांव का हाल
देवानंद यादव (IRTS) की कलम से
पिछले कुछेक सालों से जयपुर, अलवर, सीकर, झुंझुनूं के कोटपुतली, अलवर ,मुंडावर ,रामगढ़ ,तिजारा, कोटकासिम- किशनगढ़,बानसूर,बहरोड़, नीमकाथाना, खेतड़ी, क्षेत्रों के युवा इन 2-4 सालों से पता नहीं किन लोगों के प्रभाव में आकर चकाचौंध की दुनियां में खोते जा रहे हैं। सबसे ज्यादा असर पड़ा है सोशल मीडिया नेटवर्किंग का। जिन भाइयों को पढ़ाई, कोचिंग, भर्ती, कम्पीटिशन पर फोकस करना चाहिए। वो फेसबुक पर नई नई स्टोरी लगाने, वाट्सएप पर स्टेटस लगाने,नए लुक में अपडेट होने, हरियाणवी लहजे में डॉन बनने, साथियों का एक ग्रुप बनाकर गैंगस्टर टाईप छवि बनाने, तेज स्पीड में बाइक चलाने, मुर्गे जैसी कटिंग और औरंगजेब सी दाढ़ी रखने, सारे दिन पब्जी खेलने टिक टोक के दीवाने, होटल मिडवे पर जाकर बर्थडे सेलिब्रेशन, रोड़ किनारे बैठकर बियर पीने, शराब ठेकों पर झगड़ा करने, अपने आप को पोलिटिकल किंग मेकर समझने, उधारी के पैसों से गांजा, चरस, दारू पीने,सिगरेट फूंकने, हथियार लहराने का शौक रखने, हरयाणवी लहजे में डायलॉग बाजी करने के प्रति ज्यादा झुकते दिखाई दे रहे हैं और उनमें अधिकांशतया ग्रामीण पृष्ठभूमि के निम्न मध्यम वर्गीय किसान परिवारों के बच्चे हैं ।
जिनमे उनके परिजन उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद रख रहे हैं
परंतु ये मुर्गा कटिंग वाले डीजे के डांसर अलग ही दुनिया में जा रहे हैं। दरअसल वैसे यह कल्चर कमोबेश हर क्षेत्र में बढ़ती जा रही है और इसके पीछे जो लुभावनी चीज है वह है चमक दमक का आकर्षण।
पड़ौसी राज्यों जैसे सम्पन्न प्रदेश के युवा अगर कुछ कर रहे हैं तो वो आलरेडी सम्पन्न हैं, और सम्पन्न होने के बावजूद भी उन प्रदेशो में होते जा रहे सामाजिक पतन की भी बातें सुनने में आ रही हैं। परन्तु हमारे यहां के युवा , खासकर जो अभी अभी युवा बन रहे हैं या बनने जा रहे हैं, उनके हाथों में एंड्रॉयड फोन आते ही इन फर्जी लठेतों को, और उनके फेसबुकिया ठाठ देखकर बहुत जल्दी वैसे ही दिखने बनने की दिशा में चल निकलते हैं। पर इन प्रदेशों की अच्छाई की तरफ इनका ध्यान नहीं जाता ,हरियाणा पंजाब के बहुत से युवा साथी खेलों में मैडल ला रहे हैं, IAS में टॉप कर रहे हैं। उनसे सीखें कुछ । पर नहीं , इनको तो गड्ढे में गिरने की सनक लगी है।
फिर शुरू होता है इनके….यारां दा अड्डा, जिगरी……,यादव सरकार, रॉयल राव साब, धांसू गुज्जर,धांसू जाट,देसी जाट,जिगरी जाट, देसी बॉयज, गामा हाले छोरे, यारां दी बादशाहत, सोपू, 007……वगेरा वगेरा जैसी गैंग नुमा लड़को की टोली बनना और दिखावटी चोंचले बाजी। काम के नाम पर माफिया लोगो के साथ सेल्समेनी, टोल प्लाजा पर काम, रॉयल्टी नाको पर काम, जिनमे 5-7 हजार से ज्यादा कुछ मिलता नही पर वहां फोकट की दारू, रोटीया & चकाचौंध की दुनियां, डोडा पोस्त-अफीम तस्करों के प्यादे बनना…..जो सारा करियर बिगाड़ के रख दे रही है।
दूसरा कारण लोकल राजनीति भी इसमे सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। आजकल के चुनावी सीजन में हर नेता को इन फेसबुकिया युवाओं की टीम चाहिए जो 5-7 गाड़ीयों में भरकर जिंदाबाद के नारे लगाते रहे, हर रात उन्हें चुनाव के दौरान फ्री की शराब और खाने पीने की सुविधा , ऐसे माहौल में ये नासमझ उन नेताओं को अपना गॉडफादर समझने लग जाते हैं और नेताजी का भविष्य तो सुरक्षित पर खुद का भविष्य चौपट।
तीसरा परिवार व समाज की अनदेखी ओर निष्क्रियता….आज समाज और परिवारों में इतना विखंडन बढ़ गया कि अगर पता भी चल जाता है कि कौन गलत दिशा में जा रहा है तो भी हम कोई कठोर कदम नही उठा पाते, इसका एक कारण बुरा बनने से बचने की भावना भी है, पहले गांव में कोई बदमाशी करता तो गांव के दूसरे लोग ही टोक देते थे, अब कोई किसी को नहीं टोकता, और टोके भी कैसे बेचारे की उसी की बेइज्जती कर दें। परिवार वालो की सुनते नही, फिर परिवार के लोग भी सोच लेते हैं कि ” कुएं में पड़े और भाड़ में जा” पर स्तिथि धीरे धीरे जड़ें मजबूत करती जा रही है।
फिर ये भटके जीव हो जाते हैं अविवेकी और कुंठित, गुस्सा इनके नाक पर, कोई कुछ बोल दे तो मरने मारने को तैयार, शौक पूरे करने के लिए हर हद तक जाने को तैयार।
बढ़ते नशे के प्रचलन, अवैध हथियारों के शौक, इश्कबाजी और गैंग्स प्रवृत्ति ने हमारे क्षेत्र के बहुत से युवाओं को बर्बादी की ओर धकेल दिया है।
अपराध संबंधी इन दिनों घट रही घटनायें इसकी बानगी है आने वाले समय मे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति बार बार हो सकती है। अभी समय है हमारे पास कि हम सचेत और जागरूक होकर इस बर्बादी के रास्ते पर अंकुश लगा सकें। इसके लिए सभी समाज के जिम्मेदार नागरिकों को,सबको जागरूक होकर उचित कदम उठाने होंगे, नहीं तो हमारा युवा वर्ग नकारात्मक मार्ग पर इतना आगे बढ़ जाएगा कि पछतावे के अलावा कुछ नहीं होगा ।
पर साथियों इस चकाचौंध से बाहर निकलो एक अच्छी दुनिया है जिसे आप अपने व अपने परिवार के लिए जिऐं।
एक बार फिर आपसे यही प्रार्थना है कि इस जातिगत और धार्मिक कट्टरता पर ध्यान ना देकर आप अपने परिवार व अपने लिए जिया जाए।