फेंक जहां तक भाला जाए…नीरज के ओलंपिक गोल्ड पर याद आए लखनऊ के कवि वाहिद अली वाहिद


भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा की स्वर्णिम विजय के साथ ही इंटरनेट मीडिया पर छाया- फेंक जहां तक भाला जाए…। शहर के दिवंगत कवि वाहिद अली वाहिद ने कारगिल युद्ध के दौरान यह कविता लिखी थी। इंटरनेट मीडिया पर बधाई संदेश में ये कविता काफी वायरल हुई।

 ओलिंपिक में भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा की स्वर्णिम विजय के साथ ही इंटरनेट मीडिया पर छाया- ‘फेंक जहां तक भाला जाए…। शहर के दिवंगत कवि वाहिद अली ‘वाहिद ने कारगिल युद्ध के दौरान यह कविता लिखी थी। इस कविता की पंक्तियों के साथ विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्तियों ने इंटरनेट मीडिया पर बधाई संदेश लिखा।

वाहिद अली ‘वाहिद की इस कविता के साथ ही इंटरनेट मीडिया को उनका रचना संसार भी याद आया, जिसमें देश हमेशा प्रथम रहा। वाहिद अली ‘वाहिद ने राष्ट्रीय एकता एवं धार्मिक सद्भाव की कविताओं से विशेष पहचान बनाई। गीत, गजल, छंदों, मुक्तकों से बहुआयामी सृजन तथा संगीत नाटकों की रचना की। कोरोना की दूसरी लहर ने एक अद्भुत रचनाकार को हमसे छीन लिया, पर उनकी कलम ने जो नायाब रचा, वह हमेशा इसी तरह याद किया जाता रहेगा।

टोक्यो ओलिंपिक में नीरज की स्वर्णिम सफलता पर पिता की लिखी कविता को इस कदर प्यार मिलने पर बेटे राशिद अली ने भावुक होते हुए कहा- आज पिता होते तो यही कहते कि भारत का सिक्का ही हमेशा ऊपर रहेगा…। उन्होंने हमें यही सिखाया कि हम जो करें, जैसा करें, हमारा देश प्रथम रहे। हम कुछ ऐसा करें कि देश का नाम ऊंचा रहे, तभी हमारा सिर भी ऊंचा रहेगा।

कविता…

कब तक बोझ संभाला जाए

द्वन्द कहां तक टाला जाए।।

दूध छीन बच्चों के मुख से

क्यों, नागों को पाला जाए।।

दोनों ओर लिखा हो भारत

सिक्का वही उछाला जाए।।

तू राणा का वंशज है तो

फेंक जहां तक भाला जाए।।

इस बिगड़ैल पड़ोसन को भी

फिर शीशे में ढाला जाए।।

तेरे-मेरे दिल पर ताला

राम करें या ताला जाए।।

‘वाहिद के घर दीप जले तो

मंदिर तक उजियाला जाए।।

ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में जीतने वाले पहले भारतीय: फाइनल राउंड में नीरज चोपड़ा ने कमाल कर दिया और ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में ये मुकाम हासिल करने वाले पहले भारतीय बने। यही नहीं उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक 2020 में भारत को पहला गोल्ड मेडल भी दिलाया। इसके अलावा वो भारत की तरफ से ओलिंपिक इतिहास में व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी बने। उनसे पहले शूटर अभिनव बिंद्रा ने ये कमाल 2008 बीजिंग ओलिंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में किया था।

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