नक्सलियों के खिलाफ सफलता की इबारत लिख रहा रेड कॉरिडोर में आने वाला यह जिला
लखीसराय. दंतेवाड़ा में नक्सलियों की ओर से लगाए गए IED की चपेट में एक यात्री वाहन आ गया. इसमें जानमाल का नुकसान हुआ. छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में नक्सलियों की काफी सक्रियता है और माओवादी समय-समय पर इसका आभास कराने की भी कोशिश करते रहते हैं. हालांकि, विगत कुछ वर्षों में सुरक्षाबलों ने कई राज्यों में नक्सली गतिविधियों को प्रभावी तरीके से निष्क्रिय करने में सफलता पाई है. खासकर बिहार में इसका व्यापक असर देखने को मिला है. यही वजह है कि जून में गृह मंत्रालय ने प्रदेश के नक्सल प्रभावित 16 जिलों में से 6 को रेड कॉरिडोर से बाहर निकालने की घोषणा की थी. इस तरह बिहार में अब 10 जिले ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आते हैं.
बिहार के नक्सल प्रभावित जिलों में एक नाम लखीसराय का भी है. हालांकि, यहां कई महीनों से कोई बड़ी नक्सली घटना नहीं हुई है, फिर भी गृह मंत्रालय ने लखीसराय को रेड लिस्ट से बाहर नहीं निकाला. जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) सुशील कुमार इसे सही फैसला बताते हैं. इसके पीछे वह अपना तर्क भी देते हैं. उनका कहना है कि नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से जिला को हटाने स नक्सलियों पर किया जा रहा फोकस हट जाएगा. इससे नक्सली इलाके में फिर से खुद को मजबूत कर सकते हैं और इस तरह वर्षों से किया जा रहे प्रयास को झटका लगेगा. बता दें कि नक्सल प्रभावित जिलों के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर सुरक्षा और विकास को लेकर विशेष व्यवस्था की जाती है.
लखीसराय जिले में नक्सली गतिविधियों पर प्रभावी तरीके से नकेल लगाई गई है. पुलिस कप्तान सुशील कुमार इसके पीछे सुरक्षाबलों और खुफिया तंत्र के बीच प्रभावी को-ऑर्डिनेशन को श्रेय देते हैं. वह बताते हैं कि विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के साथ ही आईबी जैसी खुफिया एजेंसी से भी इनपुट मिलता है, जिसके आधार पर नक्सल विरोधी बड़े अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जाता है. गौरतलब है कि सुशील कुमार लखीसराय से पहले एक और नक्सल प्रभावित जिले में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं, ऐसे में नक्सलियों से निपटने में उनके नेतृत्व में बनाई गई रणनीति को बेहद अहम माना जाता है.
वांटेड नक्सलियों की गिरफ्तारी में सफलता
सुशील कुमार जिस को-ऑर्डिनेशन की बात करते हैं, शायद यह उसी का नतीजा है कि नक्सल प्रभावित लखीसराय जिले में पिछले दिनों 2 हार्डकोर माओवादियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली. इन दोनों की पहचान मिठ्ठू कोड़ा और सुरेंद्र यादव के तौर पर किया गया है. ये दोनों नक्सली कई संगीन मामलों में वांछित थे. बता दें कि लखीसराय वह जिला है, जिसके कलेक्टर ऑफिस तक पर नक्सलियों ने हमला किया था. पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षाबलों द्वारा की गई मेहनत अब रंग लाने लगी है. एसपी सुशील कुमार कहते हैं कि वर्ष 2021 में जिले में नक्सली हिंसा की कोई घटना सामने नहीं आई. सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को एक एनकाउंटर में जरूर खदेड़ा था.