आज का इतिहास
पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जे के लिए शुरू किया ऑपरेशन जिब्राल्टर, यही 1965 के भारत-पाक युद्ध की वजह बना
60 के दशक के शुरुआती 5 सालों में दो बड़ी घटनाएं हुईं। पहली- 1962 में भारत-चीन युद्ध और दूसरी- मई 1964 में जवाहरलाल नेहरू का निधन। एक तरफ भारत चीन से युद्ध हार गया था तो दूसरी तरफ जवाहरलाल नेहरू के निधन से भारतीय राजनीति में एक वैक्यूम बन गया था।
पाकिस्तान को लगा कि इन घटनाओं की वजह से भारत अभी कमजोर है और उसकी इस कमजोरी का फायदा उठाया जा सकता है। अपने नापाक मंसूबों को कामयाब करने के लिए पाकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्राल्टर की शुरुआत की।
दरअसल स्पेन के पास जिब्राल्टर नाम का एक छोटा द्वीप है। जब यूरोप जीतने के लिए अरब देशों की सेना पश्चिम की ओर चली तो उनका पहला पड़ाव जिब्राल्टर ही था। यहीं से आगे बढ़ते हुए अरबी सेना ने पूरे स्पेन पर जीत दर्ज की थी। पाकिस्तान को लगता था कि एक बार उसने भारत के जिब्राल्टर (कश्मीर) पर कब्जा कर लिया तो पूरे स्पेन (भारत) पर कब्जा कर लेगा।
हजारों पाकिस्तानी लड़ाकों को गुरिल्ला वॉरफेयर की ट्रेनिंग दी गई। हथियारों से लैस होकर ये लड़ाके 5 अगस्त 1965 को कश्मीर में घुसे। इनको दो काम दिए गए। पहला- कश्मीरी मुसलमानों को भारत के खिलाफ भड़काना और दूसरा- भारतीय सेना से लड़ाई कर कश्मीर पर कब्जा करना।
इन लड़ाकों का पहनावा और रहन-सहन बिल्कुल कश्मीरियों की तरह ही था। ऐसा करने के पीछे ये वजह थी कि भारतीय सैनिकों को लगे कि ये कश्मीर के ही नागरिक हैं, लेकिन जल्द ही पाकिस्तान का ये प्लान फेल हो गया। कश्मीर के लोगों ने अपने बीच रह रहे इन पाकिस्तानियों को पहचान लिया और इसकी खबर भारतीय सेना को दे दी। भारतीय सेना ने शुरुआत में ही कई लड़ाकों को गिरफ्तार कर लिया। भारत ने स्पेशल कमांडोज को इन लड़ाकों को पकड़ने या मारने की जिम्मेदारी दी। पाकिस्तान को लगा कि उसका ये प्लान फेल होने वाला है तो उसने तोपों से गोलीबारी शुरू कर दी। यहीं से भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध की शुरुआत हुई।
कश्मीर के हाजी पीर पास पर पेट्रोलिंग करते भारतीय सैनिक।
पाकिस्तान ने कश्मीर के उरी और पुंछ जैसे इलाकों पर कब्जा कर लिया था तो वहीं भारत ने पीओके में 8 किलोमीटर अंदर घुसकर हाजी पीर पास को अपने कब्जे में कर लिया। पूरे अगस्त में दोनों देशों के बीच युद्ध चलता रहा। 1 सितंबर को पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम लॉन्च किया।
इसका मकसद भारत के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अखनूर सेक्टर पर कब्जा करना था। ऐसा करने से भारत का कश्मीर से संपर्क टूट जाता। भारत ने इसका जवाब देने के लिए 6 सितंबर को सरहद पार कर लाहौर और सियालकोट को निशाना बनाया। भारत की ओर से ये युद्ध की आधिकारिक शुरुआत थी।
दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध चला। पाकिस्तान ने अमेरिकी पैटन टैंकों को युद्ध में उतारा। इन आधुनिक टैंकों पर पाकिस्तान को बहुत भरोसा था, लेकिन भारत के वीर अब्दुल हमीद ने अकेले ही 7 पैटन टैंकों को तबाह कर दिया। 22 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बीच में आना पड़ा। इसके बाद दोनों देशों ने सीजफायर की घोषणा की और युद्ध खत्म हुआ।
युद्ध खत्म होने के बाद युद्ध में कितना नुकसान हुआ, इसका अंदाजा लगाया गया। भारत ने 1920 स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया था और पाकिस्तान ने 540 स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर। भारत के 2,735 और पाकिस्तान के 5,988 सैनिक मारे गए।