केरल में कम नहीं हो रहा है कोरोना का कहर, पड़ोसी राज्यों ने आने-जाने को लेकर कड़े किए नियम
केरल में कोरोना के मामले बढ़ने के साथ पड़ोसी राज्यों ने यहां से लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पिछले पांच दिन में केरल में एक लाख से ज्यादा कोरोना केस आ चुके हैं। इसके बाद तमिलनाडु और कर्नाटक ने यहां से आने वालों के लिए नियम कड़े कर दिए हैं। तमिलनाडु ने पांच अगस्त से केरल से आने वालों के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। वहीं कर्नाटक ने सिर्फ उन्हीं लोगों को अपने यहां प्रवेश की अनुमति दी है, जो वैक्सीन लगवा चुके हैं। वहीं कर्नाटक ने केरल से आने वाले सार्वजनिक यातायात के वाहनों पर भी प्रतिबंध लगा रखा है। इसका नतीजा यह है कि केरल से सटी दोनों राज्यों की सीमा पर लोगों की लंबी कतार देखी जा रही है।
लगातार छठवें दिन हाल-बेहाल
इस बीच रविवार को भी केरल में 20,728 नए कोरोना केस मिले हैं। इस तरह यह लगातार छठवां दिन रहा जब यहां पर 20 हजार से ज्यादा केस मिले हैं। देखा जाए तो पूरे देश में मिलने वाले 41,0952 केसों में आधे केस केवल यहीं पर मिल रहे हैं। यहां पर टेस्ट पॉजिटिविटी रेट भी 12.14 फीसदी है, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.34 फीसदी है। वहीं एक्टिव केस की संख्या भी बढ़कर 1,67,379 पर पहुंच चुकी है जो कि देशभर में एक्टिव केसों की एक तिहाई है। केरल के कम से कम चार जिलों में संक्रमण की दर 1.2 फीसदी है। संक्रमण की इतनी ऊंची दर दिखाती है कि वहां पर क्या हालात हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर संक्रमण दर 1 फीसदी से नीचे आएगा तब माना जाएगा कि स्थिति नियंत्रण में है।
कई हिस्सों में डेल्टा वैरिएंट
हालात को देखते हुए केरल सरकार भी भरपूर कोशिशें कर रही है। यहां की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि अगले तीन हफ्ते प्रदेश के लिए बेहद अहम हैं। उन्होंने कहा कि ताजा सर्वेक्षण दिखाते हैं कि कम से कम 50 फीसदी लोग अभी भी कमजोर हालत में हैं। हमने देखा है कि नया डेल्टा वैरिएंट प्रदेश के कई हिस्सों में है। उन्होंने लोगों ने सावधानी बरतने की अपील की। विशेषज्ञों की तीसरी लहर की आशंका पर केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभी यहां पर दूसरी लहर ही खत्म नहीं हुई है। वहीं लॉकडाउन के बादजूद हालात में सुधार न होता देख अब केरल सरकार यहां पर माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने की तैयारी में है। इसके पीछे मकसद है कि दुकानें और व्यापार चलता रहे।