क्या है पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल
मीनाक्षी लेखी ने कहा- संसदीय समिति ने रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर को भेजी; कमेटी मेंबर्स बोले- हमने रिपोर्ट देखी ही नहीं
केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल की समीक्षा के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसे कमेटी के सभी सदस्यों से चर्चा के बाद स्पीकर ऑफिस भेज दिया गया है। लेखी के इस दावे पर JPC के सदस्यों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब रिपोर्ट सदस्यों के बीच सर्कुलेट ही नहीं हुई, तो इसे स्पीकर ऑफिस कैसे भेज दिया गया।
मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली में BJP हेडक्वार्टर में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में फोन की जासूसी मामले में केंद्र की तरफ से सफाई पेश की। उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार लोगों के पर्सनल डेटा को लेकर कितनी गंभीर है, इसका सबूत उसके द्वारा बनाई गई JPC है।’ लेखी ने दावा किया कमेटी के सभी सदस्यों के बीच खुली बहस और एक-एक लाइन ध्यान से पढ़वाने के बाद रिपोर्ट तैयार की गई है। सभी सदस्यों के दस्तखत के बाद रिपोर्ट स्पीकर को सौंपी गई है।
कोरोना की वजह से रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं
जब मीनाक्षी लेखी से इस रिपोर्ट के अब तक पब्लिक के बीच में न आने की वजह पूछी गई, तो उन्होंने कोरोना, चुनाव और कैबिनेट में बदलाव जैसी मुश्किलें गिना दीं। खास बात ये है कि इस JPC की चेयरपर्सन खुद मीनाक्षी लेखी थीं। उनके कैबिनेट में शामिल होने के बाद भाजपा सांसद पीपी चौधरी को कमेटी का नया अध्यक्ष बनाया गया है।
कांग्रेस-तृणमूल ने लेखी के दावे को गलत बताया
लेखी के प्रेस कॉन्फ्रेंस में किए दावे पर कमेटी के बाकी सदस्यों ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि लेखी झूठ बोल रही हैं। जब रिपोर्ट सदस्यों के बीच सर्कुलेट ही नहीं की गई, तो उस पर सबके हस्ताक्षर कैसे हुए? कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दैनिक भास्कर से कहा, इस रिपोर्ट पर किसी ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। यह सदस्यों के बीच सर्कुलेट ही नहीं हुई। जब उनसे पूछा गया, क्या केंद्रीय मंत्री झूठ बोल रही हैं? तो उनका जवाब था, बिल्कुल।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी जयराम रमेश के बयान का समर्थन करते हुए दैनिक भास्कर से कहा, ‘रिपोर्ट अगर सदस्यों के बीच सर्कुलेट होती, तो हस्ताक्षर होते। बिना सर्कुलेट हुए हस्ताक्षर कैसे हुए? मीनाक्षी लेखी यह दावा कैसे कर सकती हैं कि पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल की रिपोर्ट स्पीकर को सौंपी जा चुकी है?’
इधर, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उन्होंने रिपोर्ट बनने की प्रक्रिया में सभी सदस्यों को इसकी एक-एक लाइन पढ़ाने के लेखी के दावे का भी खंडन किया।
कब और कितने सदस्यों के साथ बनी JPC?
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के लिए मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता में 11 दिसंबर 2019 में 30 सदस्यों की JPC बनी थी। इसमें 20 लोकसभा सदस्य और 10 राज्यसभा सदस्य शामिल थे। कैबिनेट में बदलाव के बाद 3 लोकसभा सदस्य और 4 राज्यसभा सदस्य इस कमेटी से कम हो गए हैं। वहीं, लेखी की जगह भाजपा सांसद पीपी चौधरी को कमेटी का नया अध्यक्ष बनाया गया है।
कमेटी को इसके गठन से लेकर अब तक 3 बार एक्सटेंशन दिया जा चुका है। कैबिनेट विस्तार की वजह से कमेटी को तीसरी बार मानसून सत्र के पहले हफ्ते तक का एक्सटेंशन दिया गया है।
रिपोर्ट फाइनल होती तो क्यों मिलता एक्सटेंशन?
सवाल उठता है कि अगर फाइनल होने के बाद रिपोर्ट स्पीकर को सौंपी जा चुकी थी, तो मानसून सत्र के पहले हफ्ते तक इसे क्यों एक्सटेंशन दिया गया? इस एक्सटेंशन पर सवाल इसलिए भी उठता है, क्योंकि जब पेगासस मामले पर संसद में सरकार की किरकिरी हो रही है, तो केंद्र का पक्ष रखने के लिए JPC रिपोर्ट पर चर्चा कराई जा सकती थी। इससे फोन जासूसी जैसे मामले और लोगों के पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सरकार पर लग रहे आरोपों का जवाब दिया जा सकता था।