नई दिल्ली. संसद के मानसून सत्र (Parliament Session 2021) के पहले तीन दिन विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गए हैं. ऐसे में राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) की चिंता सामने आई है. सांसदों को लिखे अपने संदेश में उन्होंने कहा कि जिस तरह से तीन दिनों में घटनाएं हुई हैं, वो बहुत परेशान करने वाली है. ये समझना बेहद मुश्किल है कि देश के लोगों की आवाज देश के उच्च सदन में नहीं उठ पा रही है.
वेंकैया नायडू ने आगे अपने मैसेज में लिखा है, ‘ये सवाल उठता है कि सदन नहीं चलेगा, तो किसका फायदा होगा, निश्चित तौर पर देश और देश के लोगों का तो नहीं. उन्हें नहीं पता कि संसद को बाधित करने के पीछे कौन है और क्या लाभ है. संसद का सत्र शुरू होने से पहले हुई बैठक में सभी नेताओं ने कहा था कि वो सदन चलाना चाहते हैं और इसमें पूरा सहयोग देंगे. लेकिन पिछले कुछ दिनों में ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है.’
वेंकैया नायडू के मुताबिक अब तक केवल चार घंटों के लिए कोरोना पर चर्चा हो पाई है और मंत्री का उस मामले में जवाब हुआ था. उन्होंने आगे लिखा है, ‘इस महामारी पर बहस के दौरान सभी को अपनी बाते सामने रखने का मौका मिला. पेगासस मामले पर आईटी मंत्री को अपना बयान देना था. लेकिन दुर्भाग्य है कि एक निचले स्तर की घटना हुई और मंत्री के हाथ से कागज छीन कर फाड दिए गए. इस तरह की घटनाएं संसदीय लोकतंत्र पर प्रहार है. इससे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को तारीफ नहीं मिलती. संविधान और संसद के प्रति सम्मान होना ही चाहिए’.उन्होंने सांसदों से कहा कि वो संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के रक्षक हैं और लोगों के प्रति जवाबदेह हैं. वेंकैया नायडू ने आगे लिखा, ‘मैं सभी से अपील करता हूं कि अपनी राजनीतिक जरूरतों को छोड़कर संसद को सुचारू रूप से चलाने में मदद करें. तीन हफ्तों बाद हम आजादी के 75 वे साल में जा रहे हैं. आजादी की लडाई लोगों के अपने राज के लिए लड़ी गई थी. ऐसे समय में हम क्या दिखाना चाहते हैं’. सभापति होने के नाते वो बहुत परेशान है और उन्हें लगता है कि सदस्य भी उतने ही परेशान होंगे.
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