ऐसे तो अंधेरे में डूब जाएगा हिमाचल, बारिश ने रोका बिजली का रास्ता
घाटी में हो रही मूसलाधार बारिश न केवल बाढ़ को बुलावा देती है बल्कि और भी कई परेशानियों की जड़ बन रही है। दरअसल भारी बारिश के चलते हिमाचल की सतलुज, सरसा, भाबा खड्ड नदी समेत सभी नदियों में रेग और जल का स्तर बढ़ गया है। इस रेग में दर्ज हुई बढ़ोतरी के चलते देश के सबसे बड़े भूमिगत जल विद्युत परियोजना नाथफा झाकड़ी में रविवार से बिजली का उत्पादन रविवार की सुबह 9:30 बजे से स्थगित कर दिया गया है। सतलुज नदी की सहायक नदी भाबा खड्ड नदी में गाद का स्तर काफी बढ़ गया है। किन्नौर जिला स्थित नाथफा झाखड़ी विद्युत परियोजना से 1500 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। इससे हिमाचल के साथ साथ पांच और राज्यों में बिजली पहुँचती हैं। उत्पादन स्थगित होने से इन सभी राज्यों में बिजली की कटौती हो सकती है।
रिपोर्ट्स की माने तो नाथफा झाखड़ी डैम में किसी भी सूरत में 5000 पीपीएम से कम नहीं हो रहा है इसलिए यहां बिजली का उत्पादन फिलहाल बंद रहेगा। सतलुज नदी में सहायक नदियों के मुक़ाबले गाद बेहद ज़्यादा है। इसके अलावा शिमला जिले के रामपुर में विद्युत परियोजना के तहत 412 मेगावॉट का उत्पादन होता है, को भी फिलहाल स्थगित करना पड़ा है। विद्युत परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि किन्नौर जिले स्थित नाथफा झाखड़ी डैम के आसपास सतलुज में सिल्ट की मात्रा बढ़कर 8000 पीपीएम हो गई है। राज्य में बहने वाली नदियां खतरे के निशान से उपर बह रही हैं। गौरतलब है कि कांगड़ा जिले में इस साल 118एमएम और धर्मशाला में 115 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड हुई है। इसके अलावा बिलासपुर में 360 एमएम बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग के निदेशक मनमोहन सिंह का कहना है कि 1950 से जब से मौसम विभाग ने आंक़ड़े जुटाने शुरू किए हैं, तब से घाटी में इतनी बारिश पहले कभी नहीं हुई थी। बीते दिन हिमाचल घाटी में औसत से 1000 फीसदी ज़्यादा बरसात दर्ज हुई है।