पेंशन सूचनाएं मुहैया कराने में देरी पर सूचना आयोग ने जताई नाराजगी

जयपुर, राज्य सूचना आयोग ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के आश्रितों को पेंशन शुरू करने में काम आने वाली सूचना मुहैया कराने में देरी करने पर अधिकारियों के प्रति गहरी नाराजगी व्यक्त की है। ऐसे दो मामले आयोग के सामने आए जब दिवंगत कर्मचारी की आश्रित पत्नी ने सूचना दिलाने में आयोग से मदद मांगी। इन दो अलग अलग मामलों में आयोग की जवाब तलबी के बाद सरकारी महकमे हरकत में आये और तुरंत कार्रवाई की।

इन मामलों में सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने संबधित अधिकारियों से कहा कि यह बहुत दुखद है कि उम्र भर सेवा करने वाले किसी दिवंगत कर्मचारी की विधवा पत्नी को पेंशन के लिए आयोग तक आना पड़े। सूचना आयुक्त बारेठ ने अधिकारियों से कहा उम्र के इस मोड़ पेंशन न केवल सहारा है बल्कि यह उस कर्मचारी की सेवा के प्रति सम्मान भी है।

इस मामले में अलवर के सानोली गांव की रेवती देवी ने पहले सरकारी विभाग से अपने दो अलग अलग पत्रों पर कार्रवाई की जानकारी मांगी और जब विभाग ने इसमें कोताही बरती तो रेवती देवी ने आयोग का दरवाजा खटखटाया। 80 वर्षीय रेवती देवी के पति चंदगीराम पहले सेना में थे। इसके बाद वे राज्य सेवा में आ गए थे। चन्दगी राम का 22 नवंबर 2018 को निधन हो गया था। रेवती देवी ने अधिकारियों को दो बार चिट्ठी भेज कर पेंशन के संबंध में कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। उनकी अर्जी विभागों के बीच फेरी लगाती रही।

आयोग ने जब इस पर जवाब तलब किया तो कार्रवाई में तेजी आयी और रेवती देवी की पारिवारिक पेंशन शुरू कर दी गई। इस मामले में सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त ने कहा अधिकारियों ने इसमें अत्यधिक देरी की है। आयोग ने अपने आदेश में कहा इस मामले में दो साल का वक्त गुजर जाना दुखद है। आयोग ने कहा अधिकारियों से ऐसे मामले में अधिक संवेदनशीलता और तत्परता की अपेक्षा की जाती है। सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने जानकारी दी कि रेवती देवी के लिए पेंशन शुरू कर दी गई है।

आयोग ने ऐसे ही एक और मामले में दिवंगत कर्मचारी की पत्नी को आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध करने में कोताही बरतने पर महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्व विद्यालय के प्रति नाराजगी जाहिर की। आयोग के सम्मुख शशिबाला शर्मा ने शिकायत की थी कि विश्व विद्यालय उनके दिवंगत पति स्व दिनेश शर्मा की वेतन स्लिप सहित कुछ जरुरी सूचनाएं मुहैया कराने की गुहार को अनसुना कर दिया है। जब विश्व विद्यालय से शशिबाला शर्मा को सूचना नहीं मिली तो उन्होंने पहले विश्व विद्यालय में ही पहली अपील दाखिल की और जब उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई तो उन्हें आयोग का रुख करना पड़ा। आयोग ने जब विवि से जवाब तलब किया ,विश्व विद्यालय हरकत में आया और सुनवाई के दौरान ही शर्मा को 147 पृष्ठों की सूचना तुरंत उपलब्ध करवा दी गई।

आयोग ने अपने आदेश में कहा विश्व विद्यालय उच्च शिक्षा का सबसे बड़ा संस्थान है। देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने विश्व विद्यालय को एक ऐसी संस्था के रूप में निरूपित किया जो मानवता के लिए कटिबद्ध होता है। यह खेदजनक है कि दिवंगत कर्मचारी की आश्रित पत्नी को वेतन निर्धारण के बकाया की सूचना के लिए आयोग तक आना पड़ा है। आयोग ने कहा विश्व विद्यालय को अपने इस कार्य व्यवहार पर सोचना चाहिए।

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