विदेश मंत्री के तीन सूत्रीय रोडमैप से अफगानिस्तान पर भारत ने दुनिया को दिखाया रास्ता

नई दिल्ली. भारत (India) ने बुधवार को कहा कि अफगानिस्तान  (afghanistan)का भविष्य उसका अतीत नहीं हो सकता. दुनिया हिंसा और बल द्वारा सत्ता हथियाने के खिलाफ है. भारत ने संघर्षग्रस्त देश में शांति लाने के वास्ते तीन-सूत्री योजना (रोडमैप) प्रस्तुत की, जिसमें हिंसा और आतंकवादी हमलों को बंद किया जाना, राजनीतिक बातचीत के माध्यम से संघर्ष का समाधान और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएं कि पड़ोसी देशों को आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से खतरा न हो.

तालिबान लड़ाकों द्वारा संघर्षग्रस्त देश के बड़े हिस्से पर नियंत्रण हासिल करने की पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुशांबे में अफगानिस्तान पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) विदेश मंत्रियों के संपर्क समूह की बैठक में यह योजना रखी. बैठक में भाग लेने वालों में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीनी विदेश मंत्री वांग यी, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और अफगान विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार शामिल थे.

जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘1.दुनिया, क्षेत्र और अफगान लोग एक स्वतंत्र, तटस्थ, एकीकृत, शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध राष्ट्र चाहते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘2. नागरिकों और देश के प्रतिनिधियों के खिलाफ हिंसा और आतंकवादी हमलों को रोकना, राजनीतिक बातचीत के माध्यम से संघर्ष को सुलझाना, और सभी जातीय समूहों के हितों का सम्मान करना और 3. सुनिश्चित करें कि पड़ोसियों को आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से खतरा नहीं हो.’

जयशंकर ने कहा, ‘ईमानदारी से शांति वार्ता ही एकमात्र उत्तर है. एक स्वीकार्य समझौता जो दोहा प्रक्रिया, मास्को प्रारूप और इस्तांबुल प्रक्रिया को दर्शाता है और यह आवश्यक है. अफगानिस्तान का भविष्य उसका अतीत नहीं हो सकता. एक पूरी नई पीढ़ी की अलग-अलग उम्मीदें होती हैं. हमें उन्हें निराश नहीं करना चाहिए.’

गंभीरता और ईमानदारी से कार्य करने की  चुनौती- विदेश मंत्री

विदेश मंत्री ने कहा, ‘चुनौती इन विश्वासों पर गंभीरता और ईमानदारी से कार्य करने की है, क्योंकि बहुत अलग एजेंडे के साथ काम करने वाली ताकतें हैं. दुनिया हिंसा और बल द्वारा सत्ता हथियाने के खिलाफ है और ऐसे कृत्यों को वैध नहीं ठहराया जायेगा.’

अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा के बीच, भारत व्यापक संघर्ष विराम के लिए दबाव बना रहा है. इस महीने की शुरुआत में, भारतीय दूतावास ने अफगानिस्तान जाने वाले, रहने और काम करने वाले सभी भारतीयों को अपनी सुरक्षा के संबंध में अत्यधिक सावधानी बरतने और देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर सभी प्रकार की गैर-जरूरी यात्रा से बचने के लिए कहा था.

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