विधानसभा अध्यक्ष को लेकर स्थिति साफ:शरद पवार ने कहा-अगला विधानसभा अध्यक्ष भी कांग्रेस पार्टी से ही होगा, वे जिसे चुनेंगे वह हमें मंजूर होगा
कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर जो भी फैसला करेगी, हम उसका समर्थन करेंगे। इससे पहले चर्चा थी कि शिवसेना विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना दावा ठोक सकती है।
नए विधानसभा अध्यक्ष को लेकर जारी अटकलों के बीच रविवार को एनसीपी चीफ शरद पवार ने स्पष्ट कर दिया कि अगला विधानसभा अध्यक्ष भी कांग्रेस पार्टी से ही होगा। यह पद कांग्रेस के नाना पटोले के इस्तीफे के बाद से खाली है। राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने जल्द से इसे भरने की बात कही है।
हाल में हुए विधानसभा के मानसून अधिवेशन में अध्यक्ष पद का चुनाव कराए जाने की चर्चा थी, परंतु सत्र सिर्फ दो ही दिन का था, इसलिए चुनाव नहीं हो पाया। रविवार को एनसीपी चीफ ने कहा,’तीनों पार्टियों (शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) ने फैसला किया है कि नया विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस से ही होगा। कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर जो भी फैसला करेगी, हम उसका समर्थन करेंगे। इससे पहले चर्चा थी कि शिवसेना विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना दावा ठोक सकती है।
12 विधायकों का निलंबन नियम के अनुसार हुआ
मानसून सत्र के दौरान सदन में कथित तौर पर दुर्व्यवहार करने पर बीजेपी के 12 विधायकों को निलंबित करने के सवाल पर पवार ने कहा कि जो उन्होंने विधानसभा में किया, उसके आधार पर कार्रवाई की गई। इसमें तूल देने वाला कुछ भी नहीं है, यह हो चुका है। 5 जुलाई को विधानसभा स्पीकर के चेंबर में पीठासीन अधिकारी से कथित तौर पर दुर्व्यवहार करने के मामले में 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित किया गया है।
नए सहकारिता मंत्रालय से महाराष्ट्र को नहीं होगी परेशानी
केंद्र सरकार ने हाल ही में सहकारिता मंत्रालय बनाने का ऐलान किया है। इसकी जिम्मेदारी गृह मंत्री अमित शाह को दी गई है। इस पर एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को कहा, ‘राज्य के संविधान के मुताबिक, सहकारिता राज्य सरकार का मामला है, केंद्र सरकार राज्य द्वारा बनाए गए सहकारिता कानून में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इसलिए नए सहकारिता विभाग के गठन से महाराष्ट्र में कोई परेशानी नहीं होगी।’
‘मैंने इस विभाग का कामकाज देखा’
शरद पवार ने कहा कि जब कृषि मंत्री था, तब मैंने इस विभाग के कामकाज को देखा। केंद्र सरकार की ओर से सहकारिता विभाग का गठन कोई नई बात नहीं है। राज्य के संविधान के मुताबिक, सहकारिता राज्यों के लिए अलग मामला है और सहकारी कानून बनाना राज्यों की जिम्मेदारी है. इसलिए महाराष्ट्र विधानसभा ने भी कानून बनाए हैं।