बंगाल से चार मंत्री बनाने के पीछे भाजपा की बड़ी रणनीति, मिशन 2024 का लक्ष्य
कोलकाता, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के विस्तार में अधिकतर अनुभवी नेताओं को शामिल किया है। लेकिन बंगाल से चार ऐसे सांसदों को भी मंत्रालय में जिम्मेदारी दी गई है, जिनका अनुभव बहुत ही कम है।
केन्द्र की भाजपा सरकार के 2.2 मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे कम उम्र के मंत्री बने सांसद निशिथ प्रमाणिक और मतुआ समुदाय के प्रतिनिधि शांतनु ठाकुर हैं। इसके अलावा जॉन बार्ला और सुभाष सरकार को भी मंत्रालय में जिम्मेदारी मिली है, जिन्हें मंत्रिमंडल का अनुभव बिल्कुल भी नहीं है। इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषकों ने भाजपा की बड़ी रणनीति के दावे किए हैं। माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बंगाल से इन चार नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। अभी हाल में हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को करारी हार दी है। इसके पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरे बंगाल विशेषकर उत्तर बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को शानदार समर्थन मिला था लेकिन विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का जनाधार घट सकता है। इसे बचाने के और भविष्य में भाजपा के जनाधार को बढ़ाने के लिए बंगाल से चार नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। इन में से निशिथ प्रमाणिक और जॉन बार्ला उत्तर बंगाल से हैं, जहां पार्टी का जनाधार बहुत बड़ा है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बने भाजपा सांसद निशिथ प्रमाणिक चुनाव बाद हिंसा व कानून-व्यवस्था को लेकर लगातार ममता सरकार के खिलाफ हमलावर रहे हैं। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी पर हमले को लेकर भी वह मुखर तरीके से अपना विरोध जताते रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सहयोगी के रूप में वह निश्चितरूप से कानून और व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करेंगे ताकि न केवल बंगाल की खराब कानून व्यवस्था की स्थिति को उजागर किया जा सके, बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके। मंत्री बनने के बाद प्रमाणिक गृह राज्य मंत्री के रूप में वह राज्य प्रशासन, खासकर पुलिस पर दबाव बना सकते हैं। क्योंकि, वह काफी आक्रामक रहते हैं। इसके अलावा उत्तर बंगाल में हिंदी भाषियों का गढ़ माने जाने वाले चाय बागान श्रमिकों के बीच से आए सांसद जान बार्ला भी जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं।
इसी तरह से डॉक्टर सुभाष सरकार बुद्धिजीवी माने जाते हैं, जिनका जनाधार आदिवासी बेल्ट में बहुत बड़ा है। जंगलमहल के क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस को बहुत अच्छा समर्थन नहीं मिलता है और भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोटिंग होती रही है। इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन इन क्षेत्रों में बेहतर रहा था। इसलिए लोकसभा में भी इसे बरकरार रखने की कवायद में सुभाष को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। वह कानून के जानकार हैं और जमीनी तौर पर उनकी पकड़ भी बहुत अच्छी है जो भाजपा के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है।
शांतनु ठाकुर पश्चिम बंगाल के शरणार्थी मतुआ समुदाय से संबंध रखते हैं, जो आजादी के बाद से आज तक नागरिकता के इंतजार में हैं। हालांकि इस बार इस समुदाय ने भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में बहुत अच्छा मतदान नहीं किया था। लेकिन ठाकुर के मंत्री बनने के बाद इस समुदाय की उम्मीदें ना केवल बढ़ी हैं, बल्कि नागरिकता को लेकर भरोसा भी बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि यह 2024 के लोकसभा चुनाव में मददगार साबित हो सकता है। राज्य की कम से कम 15 लोकसभा सीटों पर इस समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव है, जो लोकसभा चुनाव में भाजपा के अगर पक्ष में रहा तो न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी को मदद मिलेगी।