संगीत की तासीर है मोहब्बतः अनूप जलोटा
‘ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन’हम में से जाने कितने ही लोग अनूप जलोटा के भजन और ग़ज़ल सुनते हुए बड़े हुए हैं. यह वाकई अपने-आप में उनकी गायिकी का अद्भुत समायोजन है कि जब वे भजन गाते हैं तो मन भक्ति से भाव विभोर हो उठता है और जब ग़ज़ल गाते हैं उसकी कशिश से सुननेवाले झूम उठते हैं.
भजन, गीत, ग़ज़ल, सूफ़ी गायिकी का हर अंदाज अनूप जलोटा के लिए यह सिर्फ शब्दों या भाषा का ही बदलाव है उनके मुताबिक संगीत की मूल आत्मा तो सुर है लेकिन हाँ यह जरूर है कि अपने जन्म स्थान नैनीताल से कला और संगीत की नगरी लखनऊ में आकर उर्दू जुबान भी उनकी पकड़ मज़बूत हो गई.
बदल रही है ग़ज़ल गायिकी
नई पीढ़ी में ठहराव की ग़ज़ल गायिकी के लिए धैर्य की कमी है. बेगम अख्तर की ग़ज़ल गायिकी अब बीते ज़माने की बात हो गई है अब पारंपरिक अंदाज से आगे कोक स्टूडियो भी आ गए हैं लेकिन हर चीज की तरह संगीत की शैली में भी बदलाव आता है और इसको भी स्वीकार करना ही होगा
पाकिस्तान में भी कमी नही है चाहने वालों की
अनूप जलोटा का कहना है संगीत की कोई जाति, धर्म या सीमा नहीं है. बल्कि यूँ कहिए कि अगर आप भाषा भी नहीं जानते तब भी कुछ गीत आपके दिलों में उतर जाते हैं. यह रहस्य है संगीत का. पृथक भाषा-भाषी गायक के चाहनेवाले भी दीवानगी की हद तक उन्हें चाहते हैं, यह संगीत का ही जादू है. अपनी पाकिस्तान यात्रा याद करते हुए उन्होंने कहा कि वहाँ की अवाम ने उन्हें बहुत प्यार दिया.
प्रेम करना सिखाता है संगीत
अनूप जलोटा कहते हैं जाति, धर्म और देश से परे संगीत की अपनी तासीर है मोहब्बत. यह प्रेम करना सिखाता है. संगीत से जुड़ा व्यक्ति अपनी ही दुनिया में मगन रहता है. क्या कोई नाराज व्यक्ति गीत गा सकता है? अनूप जलोटा कहते हैं, “जिंदगी यूँ ही बहुत कम है मोहब्बत के लिए रूठ कर वक़्त गंवाने की ज़रूरत क्या है”.
विविधताओं से भरी रही संगीत यात्रा
अनूप जलोटा ने 11 भाषाओं में भजन, गीत, ग़ज़ल और सूफ़ी गाने गाए हैं. लेकिन पूरी तरह वे केवल तीन भाषाएं जानते हैं हिन्दी, अंग्रेजी और पंजाबी. किसी अन्य भाषा में गीत गाने के लिए गीत के बोलों के मायने और उच्चारण अच्छी तरह समझ लेते हैं फिर गाना आसान हो जाता है.
कोविड से बुरी तरह प्रभावित हुई म्यूजिक इंडस्ट्री
लगभग डेढ़ साल से कोई कॉन्सर्ट नहीं हुआ, कोई नया काम नहीं मिला. बड़े और छोटे सभी कलाकार काम की तलाश में हैं. ऑनलाइन कॉन्सर्ट के लिए पैसे नहीं मिलते, लेकिन छोटे कलाकारों का संघर्ष ज्यादा है. इस काम में नौकरी जैसी सुविधा नहीं है. काम करने पर ही पैसा है.
68 के होने वाले हैं पर खुद को मानते हैं 35 का
सेहत को लेकर बेहद संजीदा हैं अनूप जलोटा. प्राणायाम, जलनेति और व्यायाम के अलावा आंवला और च्यवनप्राश का सेवन सालों से कर रहे हैं. यही वजह है कि उनके सुर लंबे होते हैं बड़े ही ठहराव से गाते हैं और सबसे बड़ी बात है कि उम्र भले ही बढ़ रही हो, पर खुद को जवान मानते हैं क्योंकि उम्र आपकी वही होती है जितनी आप महसूस करते हैं.
सेहत दुरुस्त रखने का ही असर है कि पिछले साल कोविड के दौरान विदेश यात्रा से लौटने पर भी उन्हें इसका संक्रमण नहीं हुआ.
वैक्सीन से रोक सकते हैं तीसरी लहर
अनूप जलोटा ने लोगों से गुजारिश की है कि वैक्सीन जरूर लगवाएं क्योंकि वैक्सीन ही आपका जिंदगी बचाएगी. पचास फीसदी लोगों ने भी वैक्सीन ले ली तो तीसरी लहर आने की संभावना बहुत कम हो जाएगी.
{रत्ना शुक्ला की कलम से}