पंजाब, अब कर्नाटक में कलह, सिद्धारमैया और शिवकुमार के झगड़े ने बढ़ाई कांग्रेस की परेशानी
बेंगलुरु. कांग्रेस की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. दिल्ली में कुछ पुराने दिग्गजों ने पिछले कुछ समय से गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. तो दूसरी तरफ राजस्थान और पंजाब में नेताओं की आपसी लड़ाई ने पार्टी को कमज़ोर कर दिया है. और अब उधर कर्नाटक (Karnataka) में भी पार्टी के दो दिग्गज नेता आमने-सामने आ गए हैं. ये हैं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) और राज्य में पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष डीके शिवकुमार (DK Shivakumar). कर्नाटक में साल 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार कौन होगा इसको लेकर सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच खींचतान शुरू हो गई है. शनिवार को सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी पार्टी में ऐसे नेताओं की वापसी नहीं होगी जो कांग्रेस को छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं. जबकि पिछले दिनों शिवकुमार ने ऐसे नेताओं के वापसी के संकेत दिए थे.
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने संवाददाताओं से कहा कि बीजेपी में गए किसी भी नेता की वापसी नहीं होगी. उन्होंने कहा, ‘मैं इस बारे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार से बात करूंगा. मैं अपनी बात पर कायम हूं. मैंने पहले भी विधानसभा में कहा था कि बीजेपी के लिए कांग्रेस छोड़ने वाले 14 लोगों को वापस नहीं लिया जाएगा, भले ही बाढ़ आ जाए या धरती गिर जाए.’
क्या कहा था शिवकुमार ने
बता दें कि पिछले दिनों डीके शिवकुमार ने कहा था कि ‘धोखा देना’ और राजनीतिक दलों को बदलना ‘राजनीति में एक सामान्य घटना’ है. उन्होंने कहा था, ‘ न सिर्फ डीके शिवकुमार या कांग्रेस, हर पार्टी के पास ऐसी घटनाओं के उदाहरण हैं. प्रताप गौड़ा पाटिल को हम बीजेपी से लाए थे. इसलिए, किसी अन्य राजनीतिक दल में जाना और राजनीति में लौटना आम बात है. कांग्रेस सदस्यता के लिए मिलने वाले वाले किसी भी आवेदन पर पार्टी विचार करेगी और पार्टी के कल्याण को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया जाएगा.’
सीएम की दावेदारी के लिए ‘खेल’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने गुरुवार को विधायकों से कहा कि वे उन्हें 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश न करें. बता दें कि इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर लगातार मतभेद बढ़ रहे हैं. उनके और राज्य इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच एकतरफा खेल शुरू हो गया है. उनका बयान उन विधायकों की बढ़ती सूची के बीच आया, जिन्होंने पार्टी नेतृत्व के फरमान के बावजूद खुले तौर पर उन्हें सीएम चेहरे के रूप में समर्थन दिया. शिवकुमार ऐसी बातों से नाराज़ दिख रहे हैं. दरअसल वो खुद सीएम के दावेदार के तौर पर अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं.
पार्टी में गुटवाबाज़ी!
पिछले साल शिवकुमार के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही विधायकों का अलग-अलग खेमा बन गया है. इस बीच, शिवकुमार ने पिछले महीने संवाददाताओं से कहा था कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की कोई जल्दी नहीं है और उनका ध्यान राज्य में कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने पर है.
ऐडवटोरियल से नाराज़गी?
पिछले दिनों कर्नाटक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने एक अंग्रेजी अखबार में ऐडवटोरियल छपवाया था. ऐडवटोरियल एक तरह का विज्ञापन है, जहां खबरों की शक्ल में आर्टिकल और फीचर लिखवाए जाते हैं. इस दो पन्नों के विज्ञापन में शिवकुमार की जमकर तारीफ की गई. उन्हें ‘परिवर्तन का दूत’ कहा गया. उनकी तारीफ में कई सारे आर्टिकल और फीचर लिखे गए. इसके जरिए ये बताने की कोशिश की गई कि कोरोना महामारी के दौरान शिवकुमार ने लोगों की जान बचाने के लिए जमकर मेहनत की.