मुकेश साहनी अब उत्तर प्रदेश में भी अपनी पार्टी का विस्तार करेंगे

बिहार सरकार में मंत्री और वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश साहनी अब उत्तर प्रदेश में भी अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए आ गए हैं, मुकेश साहनी ने आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपनी पार्टी बीआईपी का प्रदेश कार्यालय का उद्घाटन किया, मगर मुकेश साहनी ने अचानक उत्तर प्रदेश का रुख क्यों किया ? क्यों मुकेश साहनी को अचानक उत्तर प्रदेश की याद आई ? और क्या कारण है कि मुकेश साहनी अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं ?
आइए आपको बताते हैं क्या है पर्दे के पीछे की कहानी और क्या है राजनीतिक गलियारों में मुकेश साहनी की एंट्री को लेकर चर्चा।

बिहार में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार में मौजूद वीआईपी पार्टी अब उत्तर प्रदेश में भी अपना करिश्मा दिखाने आ गई है, वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश साहनी ने कहा है की वह अपनी पार्टी को 403 सीटों पर उत्तर प्रदेश में लड़ आएंगे, इसके साथ साथ मुकेश सैनी ने यह भी दावा किया है कि वह आरक्षण को लेकर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ेंगे, पहले आप मुकेश साहनी का बयान सुन लीजिए फिर आपको आगे की कहानी बताते हैं

अभी हाल ही में यह खबर आई थी कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी उन तमाम छोटे दलों को की तलाश कर रही है जो विशेष जाति और समुदाय को प्रभावित करते हैं, जिसमें निषाद पार्टी के संजय निषाद काफी प्रभावी दिखाई दिए और जेपी नड्डा से लेकर अमित शाह और तमाम बड़े नेताओं से उनकी मुलाकात हुई, जिसके बाद उनका कद और भाव दोनों उत्तर प्रदेश में बढ़ता हुआ दिखाई दिया, इसी बीच निषाद समाज के मुकेश साहनी की उत्तर प्रदेश में एंट्री होती है, यहां पर मामला बदल जाता है, राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि बीजेपी निषाद समाज से लेकर तमाम ओबीसी समाज के उन जातियों को नहीं छोड़ना चाहती है जो पिछली बार उत्तर प्रदेश में बीजेपी को वोट दिया थे, क्योंकि इनके वोट की संख्या अन्य जातियों की ओट की संख्या से काफी ज्यादा है और यही कारण है कि मुकेश साहनी को बिहार से उत्तर प्रदेश भेजा गया है, और सूत्रों का यह भी कहना है कि हाल ही में और भी अगल-बगल के राज्यों से विशेष जाति के प्रभावशाली नेताओं को उत्तर प्रदेश में बुलाया जा सकता है, इसके साथ साथ बीजेपी इस बात का भी ध्यान दे रही है किसी विशेष जाति के नेता का भाव ना बढ़ जाए, इस वजह से विशेष समुदाय के कई नेताओं को उत्तर प्रदेश में लांच किया जा सकता है और उत्तर प्रदेश के समीकरणों को बदलने की कोशिश की जा सकती है

फिलहाल बीजेपी के बिहारी सहयोगी उत्तर प्रदेश में आकर अभी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं मंत्री जी से जितना कहा गया है मंत्री जी ने उतना ही बोला है।

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