भगोड़ा घोषित करने के बाद मुकदमा बंद न करें निचली अदालतें, हाईकोर्ट
नई दिल्ली. किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित करने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया. जस्टिस जेआर मिधा की बेंच ने सभी निचली अदालतों को निर्देश दिया कि किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित करने के बाद मुकदमा बंद न करें. उल्टा भगोड़ा को तलाशने से लेकर उसकी संपत्ति जब्ती की कार्रवाई तक पुलिस को स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दें. निचली अदालतें कार्रवाई की निगरानी करें और जरूरी नए आदेश जारी करें.
बेंच ने कहा कि भगोड़ा को सजा देने का कोई निर्धारित समय नहीं है, ऐसे में आत्मसमर्पण न करने या 6 महीने तक नहीं तलाशे जाने पर उस पर आइपीसी की धारा-174ए के तहत कार्रवाई की जाए. इस संबंध में सभी निचली अदालतें रजिस्ट्रार जनरल को हर तीन महीने पर अनुपालन रिपोर्ट भी भेजें. इसमें बताया जाए कि कितने भगोड़ा घोषित किए गए, कितनों को गिरफ्तार या तलाश किया गया, कितने की संपत्ति जब्त की गई और कितनों के खिलाफ 174ए के तहत सजा सुनाई गई.
30 हजार से अधिक हैं भगोड़ा अपराधी
दिल्ली पुलिस द्वारा हाईकोर्ट में सौंपी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 31 सितंबर 2019 तक भगोड़ा अपराधियों की कुल संख्या 30 हजार 358 थी. बेंच ने कहा कि यह संख्या हर दिन बढ़ रही है क्योंकि न तो इनकी तलाश के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए और न ही इनकी संपत्ति जब्त की गई. पीठ ने कहा कि पुलिस और कोर्ट की यह आदत हो गई है कि भगोड़ा घोषित करने के बाद मुकदमा बंद कर दे. यह प्रवृत्ति बेहद गलत और गंभीर लापरवाही वाली है.
गठित की जाए उच्चाधिकार समिति
कोर्ट ने कहा कि अदालत इस पक्ष में है कि दिशानिर्देश की निगरानी के लिए उच्चाधिकार समिति का गठन किया जाए. इस समिति में केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव द्वारा नामित संयुक्त सचिव, दिल्ली सरकार के न्याय विभाग के प्रधान सचिव (न्याय), दिल्ली पुलिस विशेष आयुक्त, सीबीआइ अतिरिक्त निदेशक, बीपीआरडी के संयुक्त निदेशक, दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य कंवलजीत अरोड़ा, इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के विभागाध्यक्ष शशिकांत शर्मा, सीबीआइ के स्टैंडिंग काउंसिल निखिल गोयल और दिल्ली पुलिस के स्टैंडिंग काउंसिल संजय जाउ को शामिल किया जाये. यह समिति चार सप्ताह के अंदर पहली बैठक करे और इसके बाद हर महीने एक बार करे. समिति अपनी पहली अनुपालन रिपोर्ट 15 नवंबर को दाखिल करे. कोर्ट ने निर्देश दिया कि इसके साथ ही भगोड़ा अपराधियों को तलाशने के लिए दिल्ली पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसी 4 सप्ताह के अंदर एक स्पेशल सेल सृजित करे.