सुप्रीम कोर्ट ने वकील के क्लर्क पर 3 माह परिसर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया, जाने पूरा मामला
नई दिल्ली. यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment Case) के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की आंतरिक जांच में दोषी पाए गए एक वकील के क्लर्क (Clerk) को ऐसी सजा सुनाई है जो सभी के लिए एक नज़ीर की तरह है. सुप्रीम कोर्ट ने दोषी क्लर्क को अगले तीन महीने तक सुप्रीम कोर्ट परिसर (Supreme Court Premises) में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
इस संबंध में एक नोटिस, सर्वोच्च न्यायालय की लिंग संवेदीकरण आंतरिक शिकायत समिति (GSICC) (Gender Sensitization Internal Complaints Committee) द्वारा जारी किया गया है. इस नोटिस के जरिए बताया गया है कि क्लर्क अशोक सैनी को 1 जुलाई से 30 सितंबर, 2021 तक न्यायालय परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया है.नोटिस में बताया गया है कि यह सभी संबंधितों की जानकारी के लिए है कि अशोक सैनी को सर्वोच्च न्यायालय के भीतर यौन उत्पीड़न के आरोप पर जीएसआईसीसी के जांच परिणाम के बाद भारत के सर्वोच्च न्यायालय में लिंग संवेदनशीलता और महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) विनियम , 2013 के 11 (1) (बी) और (सी) और 11 (2) के तहत दोषी पाया गया है. अशोक सैनी पर आरोप साबित होने के बाद उन्हें 1 जुलाई, 2021 से लेकर 30 सितंबर, 2021 तक तीन महीने की अवधि के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के परिसर में प्रवेश करने से रोका जाता है.