योगी के लिए बड़ा झटका , मोदी बनाएँगे मायावती को मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश में राजनीतिक की चाले ऐसी चली जा रही हैं कि राजनीतिक पंडित का ज्ञान भी चकरा जा रहा है, कब कौन किसके साथ कहां पहुंच जाता है और कौन किसको कैसे समर्थन दे देता है इस बात को ब्रह्मा भी शायद नहीं जान पाते होंगे, आज आपको उत्तर प्रदेश में बदल रहे समीकरणों की एक ऐसी सियासी चाल के बारे में बताएंगे जिसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे और आप कहेंगे यह कैसे हो सकता है
तो आज आपको हम यह बताएंगे कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्या पर्दे के पीछे बदलाव हो रहा है और यह कैसे हो रहा है
दरअसल बात यह है कि उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश की सभी राजनीतिक पार्टियां अब तक प्रदेश में कूदना शुरू कर दी है, और कोई भी पार्टी या नहीं चाहती कि उत्तर प्रदेश में उसका कबजा ना हों, इस वक्त सत्ता में मौजूद बीजेपी के अंदर खींचतान चल रही है, उत्तर प्रदेश की प्रमुख पार्टियों में एक पार्टी बसपा अपने अस्तित्व खोती जा रही है, समाजवादी पार्टी एक बार फिर से अपने 2012 वाले फॉर्म पर लौट रही है, वहीं कांग्रेस चुन-चुन कर अपनी सीटों को जीतने में लगी हुई है, छोटे दल भी अपनी राजनीतिक समीकरण को टटोलना में लागे है, मगर इन सबके बीच बसपा और भाजपा एक ऐसा समीकरण बना रहे हैं जिससे उत्तर प्रदेश क्या देश के राजनीतिज्ञों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जा सकती है।
पर्दे के पीछे का मामला यह है कि उत्तर प्रदेश में पंचायत के चुनाव में बसपा भाजपा को समर्थन दे रही है, जिसके बाद भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष जिताने में अपने आप को कामयाब बता रहीं है,
सूत्र बता रहे हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का यह एक ट्रायल पंचायत के चुनाव में चल रहा है और इस ट्रायल के सफलता और असफलता के स्तर पर ही 22 की रणनीति का पिटारा खोला जाएगा, फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यह है कि बसपा जो भाजपा का विरोध करती है ट्विटर पर उसके जीते हुए प्रत्याशी और समर्थक भाजपा को कैसे सपोर्ट कर सकते हैं, बिना आलाकमान के इजाजत के, फिलहाल यह तो वर्तमान स्थिति है अब आइए आप बताते हैं भविष्य में क्या राज क्या छुपा हुआ है।
बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि 2022 के चुनाव में बसपा और भाजपा की सीटों को मिलाकर मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, भाजपा के सूत्र यह भी बताते हैं कि अगर भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो मायावती, भाजपा को ही समर्थन देंगी, वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि मायावती को भाजपा मुख्यमंत्री बना सकती है और योगी को साइडलाइन कर सकती है, इससे बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व यह संदेश देने की कोशिश करेगा कि वह दलित हितेषी है, फिलहाल बीजेपी में चल रही कला और मायावती का भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से करीब आना यह तो जरूर संकेत दे रहा है कि उत्तर प्रदेश के 2022 के चुनाव में कभी भी किसी का समीकरण कहीं भी फिट हो सकता है और अपने पार्टी के अंदर अपने प्रतिद्वंदी को खत्म करने के लिए किसी को भी कुर्सी पर बैठाया जा सकता है, फिलहाल इस सवाल का जवाब आने वाले भविष्य में ही मिलेगा।