सामान्य लोगों के मुकाबले एड्स पीड़ितों में कोरोना का असर कम, AIIMS का दावा
अध्ययन के मुताबिक सितंबर और नवंबर 2020 के दौरान जब एचआईवी से पीड़ित लोगों के सैंपल इकट्ठा किए गए, उस समय दिल्ली में सीरो पॉजिटिविटी 25.7 प्रतिशत थी. एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन में एसोसिएट प्रोफेसर नीरज निश्चल ने कहा, “पहली लहर के बाद हमने डाटा इकट्ठा किए हैं. हमें नहीं पता कि दूसरी लहर में क्या हुआ. हालांकि एचआईवी संक्रमितों में संक्रमण की दर का कम होना इसलिए संभव भी है कि उन लोगों ने कोविड व्यवहार का पालन किया हो.”
एचआईवी संक्रमण के साथ जी रहे लोगों में एंटीबॉडीज के लोअर प्रिवैलेंस पाए जाने के कारणों पर अध्ययन में कहा गया है, ‘हो सकता है कि एड्स से पीड़ित लोगों के कोविड संक्रमित होने के बाद एंटीबॉडीज बनी ही नहीं हो या फिर बनी हो तो ज्यादा दिन तक शरीर में बरकरार नहीं रह पाई हो.’
बता दें कि नवंबर में संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद दिल्ली की आबादी में सीरो प्रिवैंलेस की दर में तेजी से इजाफा हुआ था और जनवरी के आसपास यह 56 फीसदी था. हालांकि कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफे के बाद अप्रैल में होने वाला सर्वे रद्द कर दिया गया.
एम्स की एक और स्टडी में दावा किया गया है कि अप्रैल और मई में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामले बढ़ने से पहले मार्च में दिल्ली के शहरी इलाकों में सीरो प्रिवैलेंस 74.7 फीसदी पाया गया था. स्टडी में यह भी पाया गया कि ज्यादातर मरीजों में कोविड के या तो हल्के लक्षण थे या फिर कोई लक्षण नहीं थे.
निश्चल ने कहा, “हम अभी भी सबूत इकट्ठा कर रहे हैं कि एचआईवी संक्रमितों पर कोविड का असर कैसा रहा. हालांकि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर हमारा मानना है कि जो लोग एचआईवी की दवा ले रहे हैं, उन्होंने कोविड के चलते पैदा हुए बुखार से आसानी से निपट लिया. बावजूद इसके एचआईवी पीड़ितों को भी सामान्य लोगों की तरह ही कोरोना संक्रमण का खतरा है. ऐसे में महत्वपूर्ण ये है कि एचआईवी संक्रमित अपनी एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी जारी रखें.”
एम्स की पहले प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया था कि 97 प्रतिशत मरीजों में कोरोना के हल्के या कोई लक्षण नहीं थे. दक्षिण कोरिया के एक अध्ययन के मुताबिक एचआईवी संक्रमितों में 60 फीसदी से ज्यादा मरीजों को जांच के समय कोई लक्षण नहीं थे.हालांकि निश्चल ने चेताया कि एक केंद्र पर हुई छोटी सी स्टडी के आधार पर देश भर के लिए आंकड़ों का सामान्यीकरण नहीं किया जाना चाहिए. एचआईवी संक्रमितों पर कोरोना वायरस संक्रमण के असर को समझने के लिए व्यापक तौर पर अध्ययन किया जाना चाहिए.