सीएम तीरथ सिंह रावत ने चुनाव लड़ने को लेकर कही ये बड़ी बात
देहरादून. तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) के उत्तराखंड मुख्यमंत्री पद पर बने रहने को लेकर उठे सवालों और बहस के बाद खुद रावत ने इस मामले का पटाक्षेप यह कहकर कर दिया है कि उपचुनाव वह किस सीट से लड़ेंगे, यह फैसला भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान के हाथों में है. सीएम रावत ने कहा कि वह हमेशा पार्टी के फैसलों का स्वागत और सम्मान करते रहे हैं और पार्टी उनके लिए जो कुछ भी तय करेगी, वह स्वीकार करेंगे. उन्होंने पार्टी के प्रति इस बात के लिए भी आभार जताया कि कठिन समय के दौरान पार्टी ने सीएम पद की जिम्मेदारी के लिए उनका चयन किया.
मुख्यमंत्री बने रहने के लिए तीरथ सिंह रावत का विधायक के रूप में चुना जाना जरूरी है, क्योंकि इस साल मार्च में जब उन्हें सीएम पद सौंपा गया था, तब वह सांसद के रूप में जनप्रतिनिधि थे. एएनआई की एक रिपोर्ट की मानें तो इस मामले में चर्चा छिड़ने के बाद रावत ने कहा कि ‘मैं इस बारे में फैसला नहीं करूंगा, पार्टी करेगी. दिल्ली तय करेगी कि मुझे कहां से चुनाव लड़ना है और मैं आदेश का पालन करूंगा.’ इस बयान के बाद साफ तौर पर उन अटकलों पर विराम लग गया है, जिनके हवाले से कहा जा रहा था कि उत्तराखंड में उपचुनाव की संभावना न के बराबर है.
क्या थे दावे और बहस?
वास्तव में, इस बात को लेकर चर्चा तब शुरू हुई थी, जब पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे नवप्रभात ने यह दावा किया था कि अगले साल मार्च में विधानसभा चुनाव हैं, तो एक साल से भी कम समय होने के चलते राज्य में उपचुनाव नहीं करवाए जा सकते. ऐसे में, उन्होंने रावत के सीएम पद पर बने रहने पर ‘संवैधानिक संकट’ शब्द का प्रयोग किया था. हालांकि विशेषज्ञों ने बताया था कि चुनाव आयोग उपचुनाव का फैसला ऐसे में भी कर सकता है, जबकि राज्य में विधानसभा चुनावों को लेकर साल भर से भी कम वक्त बचा हो. गौरतलब है कि मार्च में सीएम बनाए गए रावत को 9 सितंबर तक विधायक के रूप में चुना हुआ जनप्रतिनिधि होना होगा, तभी वह संवैधानिक रूप से सीएम पद पर बने रह सकेंगे.