केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के नेताओं को बातचीत के लिए क्यों बुलाया? जानिए
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की ओर से जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) पर बुलाई गई बैठक में गुपकर नेताओं के शामिल होने के एकमत फैसले के बीच अंदरूनी बहस जारी है. बात ये है कि केंद्र सरकार के बातचीत के दांव को कैसे देखा जाए. दरअसल जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति के बाद केंद्र सरकार की ओर से जम्मू कश्मीर की सभी पार्टियों को 24 जून की बैठक के लिए न्यौता दिया गया है, इसमें गुपकर गठबंधन (Gupkar Declaration) के नेता भी शामिल हैं, जिसे केंद्र सरकार लगातार खारिज करती रही है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीनगर में, दिल्ली के फैसले को “हृदय परिवर्तन” से कहीं ज्यादा माना जा रहा है, जिसकी स्थिति अंतरराष्ट्रीय से क्षेत्रीय मुद्दों और परिस्थितियों के दबाव से तैयार हुई है.
रिपोर्ट में गुपकर गठबंधन के एक सीनियर नेता के हवाले से कहा गया है कि “केंद्र के लिए कोई स्थानीय मजबूरी नहीं थी कि वह अपनी नीतियों में बदलाव करते. यहां असहमति के लिए कोई गुंजाइश ही नहीं है. असहमति रखने वाले नेताओं को जेल में डाल दिया गया. चुप करा दिया गया है. उन्होंने अपनी विचारधारा के आधार पर एकतरफा फैसले लिए हैं और उनके खिलाफ अभी तक जनता का आक्रोश भी खुलकर सामने नहीं आया है.” उन्होंने कहा कि हालांकि एक चीज में बदलाव आया है और वो है, बाहरी वातावरण में बदलाव.
‘दक्षिण एशिया में शांति वक्त की मांग’
नाम न बताने की शर्त पर गुपकर नेता ने कहा, “चीन अखाड़े में कूद गया (गलवान और उसके बाद) है. अमेरिकी सरकार में बदलाव और अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों का निकलना अब वास्तविकता है. ये संभव है कि काबुल में तालिबान वापस सत्ता में आ जाएगा. अमेरिका को पाकिस्तान में मजबूत उपस्थिति चाहिए. ऐसे में वक्त की मांग है कि दक्षिण एशिया में शांति हो.” इसके प्रभाव में जम्मू और कश्मीर में जो कुछ भी होगा, उसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा.
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत
इसी संदर्भ में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि संयुक्त अरब अमीरात की मध्यस्थता में दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बातचीत हुई है. पाकिस्तान की ओर से लगातार सॉफ्ट सिग्नल दिए गए हैं और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बिना शर्त सीजफायर जारी है. बावजूद इसके कि भारत और चीन के बीच एलएसी पर जबरदस्त तनाव देखने को मिला है. पाकिस्तानी नेतृत्व की ओर से भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी पर भी लगाम लगी है.
बदली परिस्थितियों में सुरक्षा एजेंसियों ने स्वीकार किया है कि घुसपैठ में कमी आई है, हालांकि रविवार को सोपोर में एक पाकिस्तानी आतंकी मारा गया, लेकिन पिछले 8 महीनों में किसी स्थानीय आतंकी की संलिप्तता वाला मामला सामने नहीं आया है. इस्लामाबाद ने कुलभूषण जाधव केस में भी नई दिल्ली के लिए रास्ता खोला है. हालांकि अभी भी जमीनी तौर पर दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी साफ नजर आती है.
‘पीएम के साथ बातचीत का एजेंडा क्लियर नहीं’
कश्मीर की स्थिति देखें तो सभी अलगाववादी नेता जेलों में हैं, और पीएम मोदी के साथ बातचीत का एजेंडा भी क्लियर नहीं है. डीडीसी चुनावों के बाद भी सियासी गलियारों में सन्नाटा है. ऐसे में नई दिल्ली की कोशिश राज्य में चुनाव कराने की भी हो सकती है, ताकि एक शक्तिहीन सरकार के जरिए अपने प्लान को लोकतांत्रिक शक्ल दी जा सके. गुपकर गठबंधन के एक नेता ने कहा, “एक चुना हुआ मुख्यमंत्री होगा. जम्मू और कश्मीर का स्थानीय चेहरा होगा, जबकि शक्ति राज्यपाल के पास होगी. केंद्र की कोशिश जम्मू कश्मीर में किए गए बदलावों को सामान्य बनाने की है.”
‘अभी कहानी खत्म नहीं हुई…’
पीडीपी के एक नेता ने कहा, “सरकार ने जिस तरह हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जिनमें राज्य के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत महीनों बंद रखा गया. इससे एक प्रभाव पैदा हुआ कि नई दिल्ली कश्मीर को बिना स्थानीय लोगों की भागीदारी के भी चला सकती है. आगामी बैठक के न्यौते ने साफ कर दिया है कि भले ही हम अभी बैकफुट पर हों, लेकिन अभी कहानी खत्म नहीं हुई है.”
उन्होंने कहा, “जिन स्थानीय पार्टियों ने नई दिल्ली के फैसले का विरोध किया, और जिन्हें दबाया गया. शर्मसार किया गया. अब उन्हें ही पुकारा जा रहा है. ये पहली बार है, जब स्थानीय पार्टियों के महत्व को समझा जा रहा है.” एक अन्य नेता ने कहा, “प्रशासन में शामिल जो लोग हमारा फोन नहीं उठाते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि अब हमारी प्रासंगिकता नहीं है. अब वे हमें फोन कर रहे हैं. डीडीसी चुनावों में हमारा समर्थन करने वाले लोगों को अब लग रहा है कि हमारी भी कुछ हस्ती है.”
‘गुपकर के लिए बड़ा मौका, इससे बड़ा मंच नहीं’
पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “5 अगस्त 2019 के बाद हमारे अधिकार, हमारी आवाज छीन ली गई. इस मीटिंग से हमें सरकार के सामने अपनी बात रखने और दिल्ली के एकतरफा फैसले पर सवाल करने का मौका मिल रहा है.” गुपकर गठबंधन के लिए यह एक बड़ा मौका है. पीडीपी नेता ने कहा, “ये मायने नहीं रखता कि मीटिंग क्यों बुलाई गई है, बल्कि जिम्मेदारी ये है कि जो लोग मीटिंग में शामिल होंगे, वे बोलेंगे. हम भारत का समर्थन करने वाली राजनीतिक पार्टियां हैं. हमारे लिए अपनी बात रखने का इससे बड़ा मंच कोई दूसरा नहीं है.”एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “आगे क्या होगा, उसके लिए यह मीटिंग बेहद महत्वपूर्ण है. इसके साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि बातचीत में जम्मू कश्मीर के नेताओं के विचार पर दिल्ली किस तरह प्रतिक्रिया देती है. इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा. अगले कदम का पता तभी चलेगा.” उन्होंने कहा कि अगर नई दिल्ली का प्रस्ताव आगे बढ़ने की प्रक्रिया में है, तो उन्हें हमारी चिंताओं को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे, चाहे वह भौगोलिक बदलाव से जुड़ा हो या 5 अगस्त 2019 के फैसले को लेकर… जिसमें राज्य का दर्जा बहाल करना भी शामिल है.